52 साल के राजनैतिक जीवन में वे एक भी चुनाव नहीं जीत सके लेकिन राज्यसभा सांसद से लेकर केंद्र में मंत्री तक बने !
कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी आखिरकार बीजेपी में शामिल हो गए। शनिवार को उन्होंने अपने कई समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी की सदस्यता ले ली। पचौरी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस अब जातिवाद की राजनीति कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस आलाकमान द्वारा रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आमंत्रण को ठुकराने से वे क्षुब्ध थे।
पचौरी, दिग्विजयसिंह और कमलनाथ के साथ प्रदेश में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शुमार थे। सुरेश पचौरी सन 1972 में कांग्रेस में आए थे। तब से लेकर आज तक के अपने 52 साल के राजनैतिक जीवन में वे एक भी चुनाव नहीं जीत सके लेकिन राज्यसभा सांसद से लेकर केंद्र में मंत्री तक बने। कांग्रेस संगठन में भी अनेक पदों पर रहे और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने थे।
सुरेश पचौरी सन 1984 में युवक कांग्रेस के अध्यक्ष बने। वे सन 1984 में ही राज्यसभा के लिए भी चुन लिए गए। इसके बाद पचौरी सन 1990, सन 1996 और सन 2002 में भी राज्यसभा सांसद बने। राज्यसभा के सांसद के रूप में 6—6 साल का 4 बार का कार्यकाल पूरा किया। इस प्रकार राजनैतिक जीवन के पूरे 24 साल उन्होंने राज्यसभा में गुजारे।
इतना ही नहीं, सुरेश पचौरी कई बार केंद्र की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे। केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने रक्षा विभाग का अहम दायित्व भी संभाला। शनिवार को भी बीजेपी ज्वाइन करते समय पचौरी ने केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री के अपने कार्यकाल का उल्लेख किया। इतना ही नहीं, 2004 से 2008 तक केंद्र में रक्षा के अलावा कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत और पेंशन, संसदीय मामलों के भी मंत्री रहे।
पचौरी के राजनैतिक जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी ये रही कि वे कोई जमीनी चुनाव नहीं जीत सके। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में दो बार चुनाव लड़ा और वे दोनों ही बार वे हार गए।
पहली बार वे सन 1999 में भोपाल लोकसभा सीट से बीजेपी की साध्वी उमा भारती के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे थे। इस चुनाव में वे 1.6 लाख वोट से हार गए थे। इसके बाद उन्होंने 2013 में विधानसभा के लिए भाग्य आजमाया। वे भोजपुर विधानसभा सीट से खड़े हुए लेकिन इस चुनाव में भी वे बीजेपी के प्रत्याशी सुरेंद्र पटवा से हार गए थे।
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