दिनांक ४ एप्रिल २०१४ को टी वाय बी कॉम की परीक्षा होनी थी और एचआरएम् इस विषय का पेपर की परीक्षा होनी थी लेकिन प्रश्नपत्र लिक हो गया था उसमे अग्रवाल महाविद्यालय के क्लर्क श्री राजकुमार मिश्रा एवं राजू बोराडे नामक कर्मचारी सम्मिलित पाए गए थे बता दे की यह जो भी कुछ हुआ था यह सब प्रधानाचार्या डॉ अनीता मन्ना के सञ्चालन से हुआ था क्यों की किसी भी परीक्षा को वहन करने का कार्य चीफ कंडक्टर का होता है जो प्रधानाचार्या ने अपना कार्य जिम्मेदारी से नहीं निभाया था। यह स्पष्ट कर दे की राज कुमार मिश्रा को आयी टी कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी गयी थी लेकिन राजकुमार मिश्रा का आईटी से जुड़ा कोई ज्ञान नहीं था। न तो राजू बोराडे आयी टी से कोई लेना देना था। फिर उनको इतना महत्वपूर्ण काम क्यों सौपा गया था। महाविद्यालय में आईटी से जुड़े स्वतन्त्र शाखा है लेकिन वहा से किसी शिक्षक कर्मचारी को यह जिम्मेदाराना काम न देकर प्रधनाचार्या ने अपने कर्तव्य की प्रति अनास्था का परिचय दे दिया था लेकिन कानून के दायरे में यह लापरवाही एक गुन्हा है। चाए राजू बोराडे हो या राजकुमार मिश्रा दोनों यह कार्य करने के लिए क़ानूनी तौर पर पात्र नहीं थे। यह प्रधानाचार्या की लापरवाही थी। कॉलेजों के प्राचार्य परीक्षा केंद्र के मुख्य संचालक होंगे। हालांकि, बिना पूर्व लिखित सूचना के वे विश्वविद्यालय प्राधिकरण की अनुमति के बिना परीक्षा केंद्र नहीं छोड़ सकते। यदि वे अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में व्यस्त हैं या चिकित्सा कारणों से अनुपस्थित हैं, तो वे वरिष्ठतम शिक्षकों में से किसी को मुख्य संचालक नियुक्त कर सकते हैं। (परिपत्र सं. Exam/Um/1331/2005, दिनांक 14 जनवरी, 2005) विशेष तिथियों/अवधि के लिए। राजकुमार मिश्रा एवं राजू बोराडे चपराशी के पद पर कार्यरत थे। सवाल यह उठता है की राजकुमार मिश्रा एवं राजू बोराडे यह कर्मचारी चपराशी पद पर सेवा मे थे और मुंबई विश्वविद्यालय प्रश्न पत्र का पासवर्ड यदी महाविद्यालय के प्रधानाचार्या के मोबाइल फोन मे भेजते थे तो राजकुमार मिश्रा के मोबाईल फोन मे प्रधानाचार्या पासवर्ड भेजना ही नही चाहीए था प्रधानाचार्या ने कानून को भंग किया था । महाविद्यालय के सीसीटीव्ही मे पैसे स्वीकारते राजकुमार मिश्रा यदी सीसीटीव्ही कैमेरे है यह यदी राजकुमार मिश्रा एवं राजू बोराडे को ज्ञात था तो वो ऐसी हरकत क्यो करते पैसे दिये जा रहे थे पैसे लिये जा रहे थे इससे यह सिध्द नही हो जाता की वो पैसे प्रश्न पत्र लीक से जुडे होंगे हमे महाविद्यालय सूत्र से खबर मिली है की राजू बोराडे मुंबई विश्वविद्यालय मे महाविद्यालय के पार्सल भी लेकर जाते थे । और हात मे जो कागज दिख रहा होगा पार्सल का ही एक भाग हो सकता है । हो सकता उनकी गलती ना भी हो लेकीन किसीं एक को बचाने की फिराक में उन गरीब चपराशी कर्मचारियोंको को जिम्मेदार माना गया होगा । अन्यथा प्रधानाचार्या ने यह मान्य किया की वो 9 बजकर 45 मिनिट पर महाविद्यालय में आयी थी जब की पासवर्ड 9 बजकर 4 मिनिट पर प्रधानाचार्या के मोबाईल फोन मे आया था तो प्रधानाचार्या घर पर क्या कर रही थी । उसकी नये सिरे से जांचं होनी चाहीए ।वैसे कानून राजकुमार मिश्रा एवं राजू बोराडे परीक्षा कार्य करने के लिए पात्र थे ही नहीं तो भी उनको यह काम क्यों सौंपा गया था इसपर गंभीरता से विचार हुआ ही नहीं । वो होना बेहद जरुरी दोनों कर्मचारी राजू बोराडे और राजकुमार मिश्रा का कहना है की हमारे भविष्य निर्वाह निधि एवं gratuity के पैसे नहीं मिले है। हमारा भी परिवार है। वास्तविकता यह है की अग्रवाल महाविद्यालय की प्रधानाचार्य का शैक्षणिक पहलू देखे तो उनका १९९८३ दसवीं हुआ और तुरंत १९८४ में बारहवीं हुआ बताया जा रहा है ऐसा हमें सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है। साथ ही साथ एमकॉम एवं पीएचडी उपाधि का सर्टिफिकेट मुंबई विश्वविद्यालय में सादर नहीं किया है फिर भी मुंबई विश्वविद्यालय ने इस पर गौर नहीं किया बावजूद उसके कही निवेदन दिए जा चुके है ऐसा सूत्रों ने बताया है।