बैतूल ऐसा क्या हुआ जो शाहपुर मोतीढाना की शराब दुकान आचार संहिता के एक दिन पहले गांव से कर दी गई बाहर

सब गोलमाल है भाई सब गोलमाल है

बैतूल ऐसा क्या हुआ जो शाहपुर मोतीढाना की शराब दुकान आचार संहिता के एक दिन पहले गांव से कर दी गई बाहर

बैतूल आबकारी की रिती और नीति को देखकर एक फिल्म का गाना याद आता है सब गोलमाल है भाई सब गोलमाल है यह गाना बैतूल आबकारी विभाग के लिए सटीक बैठता है जहां पर आपका विभाग के रीति और नीति को देखकर दोनों ही बैतूल जिले में समझ के बाहर हो गई है एक ताजा मामला सामने आया है जहां पर शाहपुर मोतीढाना स्थित शराब दुकान को आदर्श आचार संहिता लगने के ठीक 1 दिन पहले याने 8 अक्टूबर को आनन-फानन में शहर के बाहर फोरलेन पर विस्थापित की गई है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दुकान स्थानांतरित करने के लिए किसी भी प्रकार का नए सीमांकन नहीं किया गया है और ना ही किसी प्रकार की शासन के द्वारा नियमानुसार कार्यवाही की गई है शराब ठेकेदार और आबकारी की मिली भगत के चलते यहां दुकान स्थानांतरित कर विस्थापित की गई है जानकार बताते हैं कि इस दुकान को विस्थापित करने के लिए पटवारी द्वारा प्रतिवेदन लगाया गया है जबकि शराब दुकान के लिए कलेक्टर एवं आबकारी विभाग द्वारा चतुर सीमांकन कर निर्धारित की जाती है जिसके तहत दुकान के स्थान का नक्शा एवं अन्य कानूनी कार्रवाई पूरी कर उसे विस्थापित किया जाता है परंतु इस मामले में ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा हमारे द्वारा जिला आबकारी अधिकारी अंशुमन सिंह चड्डार से टेलीफोन पर जानकारी जननी चाहिए तो उन्होंने सवाल का जवाब देने से आना-कानी करने की कोशिश की वही जब उनसे नए चतुर सीमांकन की बात कही तो उन्होंने चिढ़ते हुए कहा कि यह सब काम इतना इमरजेंसी नहीं था सब नियमों के अनुसार किया जा रहा है यह बात कुछ हजम नहीं होती जिला आबकारी अधिकारी के इन शब्दों से ऐसा प्रतीत होता है कि शराब ठेकेदार की शराब दुकान नियम और कायदो से बढ़कर है यदि नियमों के अनुसार हो रहा है तो उसके प्रमाण पत्रकारों को देना क्यों उचित नहीं समझ रहे पत्रकार के संज्ञान में आने के बाद पत्रकार द्वारा मांगी जाने वाली जानकारी को किसी भी विभाग द्वारा देना होता है परंतु आबकारी अधिकारी किसी भी मामले में जानकारी देने से परहेज करते हैं इसीलिए यह कहां जा सकती है कि बैतूल जिले की आबकारी विभाग की रीति और नीति दोनों ही समझ के परे है और अधिकारी मिली भगत के चलते शासन को करोड़ों का बट्टा लगते नजर आ रहे हैं और आबकारी ठेकेदार के नत मस्तक होकर उनके अनुसार कार्य कर रहे हैं हमारा सवाल इतना ही है कि यदि यह दुकान का विस्थापन नियमानुसार किया गया है तो इसके सारे प्रमाण मीडिया के मांगने पर उन्हें तत्काल दिए जाएं कहीं ना कहीं यह जल्दबाजी विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने के लिए तो नहीं की गई इसकी शंका और संदेह स्पष्ट नजर आता है

इनका कहना है

उनसे जब सवाल किए गए कागजों को लेकर तो उन्होंने उनका कहना है कि यह इतना अर्जेंट नहीं था कानून के हिसाब से किया गया है

अंशुमान सिंह चडार जिला आबकारी अधिकारी बैतूल 

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