तीन मंजिला इमारत के मलवे में दबे एक मजदूर की मौत, मकान मालिक और ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज
हादसा होने के बाद कुंभकरण की नींद से जागते अधिकारी
समय पर कुंभकरण की नींद से जागते अधिकारी तो हो सकता उक्त मजदूर काल के मुंह में जाने से बच जाता
मध्यप्रदेश में जिम्मेदारों की कुंभकरण जैसी नींद हमेशा हादसा होने के बाद खुलती हैं, जब तक हादसा होने के इंतजार में आस लगाए कुंभकरण की नींद में सोए हुए रहते है।
जी हम बात कर रहे, एमपी के राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर में शिवधाम कॉलोनी के समीप नदी किनारे नाले पर एक नव निर्माणाधीन तीन मंजिला इमारत ताश के पत्तों की तरह भर भरा कर धराशाही हो गई। उक्त निर्माणाधीन इमारत के तीसरी मंजिल की छत डालने के लिए कारीगर सहित करीब 20 , 22 मजदूर काम कर रहे थे , छत कंप्लीट होते ही निर्माणाधीन मकान ताश के पत्तों की तरह ढह गया। बिल्डिंग के गिरने से मलवे में दब कर सिंदुरिया निवासी तूफान सिंह उर्फ भूरा पिता लक्ष्मीनारायण यादव 25 साल की घटना स्थल पर ही मौत हो गई। जबकि चार मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए जिनका उपचार किया जा रहा। उक्त हादसे के बाद प्रशासनिक कार्यवाही के दौरान मकान मालिक जमुनिया घटा पंचायत के राजू सोंधिया और ठेकेदार पर पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई। लेकिन सवाल यह उठता है कि आवास हीन इलाके में तीन मंजिला मकान बनाने की परमिशन किसी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा दी गई, और यदि मकान मालिक ने निर्माण कार्य की परमिशन नहीं मांगी तो उसे प्रशासनिक अधिकारी द्वारा नोटिस क्यों नहीं दिया गया, तीन मंजिला मकान बनने में समय तो लगा होगा इस दौरान स्थानीय प्रशासन कुंभकरण की नींद में कहां सोया हुआ था जिस जगह पर यह मकान बनाया जा रहा था और वह नेशनल हाईवे से कितनी दूरी पर था और उसकी रजिस्ट्री कैसे हो गई यह एक विचारणीय प्रश्न है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी इस पर सवाल उठाए हैं
और कहा कि नाले में जमीन है मुझे तो खेती की जमीन नजर नहीं आई , नाले की जमीन किसने बेच दी किसने खरीद ली यह भी एक जांच का विषय है , दूसरा वहा पे वैसे ही तो शिवधाम में पानी भर जाता है ये तो नाले के अंदर है , बरसात में तो इसकी बिल्डिंग के अंदर से निकलेगा , इसकी जांच होना चाहिए और जिस व्यक्ति का ध्यांत हुआ है उस को शासन की तरफ से 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि के अलावा भी मुआवजा मिलना चाहिए, और जिनको भी चोट लगी है उनको भी मुआवजा मिलना चाहिए, क्यों गिरी बिल्डिंग उसकी जिम्मेदारी तह होना चाहिए, मकान मालिक और ठेकेदार है तो उनसे भी घायल मजदूरों को और मृतक के परिवार को मुआवजा राशि उन लोगो से मिलना चाहिए, इसकी पूरी जांच होना चाहिए आखिर यह जमीन कहा से आई है किसने दी है इसकी पूरी जांच होना चाहिए क्या शासकीय रेवेन्यू में कोई हेरा फेरी हुई है या नहीं हुई है इसकी भी पूरी जांच होना चाहिए , बात वही है जो हाइवे का नियम है उसका भी उल्लंघन हो रहा था, ये कैसे इसको इजाजत मिल गई है यह भी जांच का विषय है , वही मीडिया ने जब श्री सिंह से पूछा तो दो टुक में हस्ते मुस्कुराते जवाब दिया गया कि ये ब्यावरा है ?
वही तीन बार सांसद रहे रोडमल नागर ने कहा कि प्रशासन द्वारा जांच की जा रही और दोषियों पर कार्यवाही होगी।
अब यह सवाल उठता है कि प्रशासन अभी तक कहा था जो हादसे के बाद जगा , विधानसभा और लोकसभा चुनाव में लगे प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि कई बार वहां से गुजरे होंगे लेकिन किसी ने भी इस और ध्यान क्यों नहीं दिया बिल्डिंग मालिक ने स्वीकृति नहीं ली तो उसको प्रशासन द्वारा नोटिस क्यों नहीं दिया गया। उक्त भवन निर्माण के समय यदि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा उचित कार्रवाई की जाती तो हो सकता आज इतना बड़ा हादसा ना होता।
हादसे के बाद प्रशासन थोड़ा बहुत हरकत में आया है लेकिन हमेशा की तरह एक दो दिन बाद कागजों में कही अपने कर्तव्यों की इतिश्री न कर दे। और कई ऐसा न हो कार्यवाही के नाम पर किसी कोने में धूल खाते रहे कागज, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
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