राष्ट्र का युवा राम मंदिर से प्रेरणा लेकर राष्ट्र मंदिर बनाने में जुट गया: उमाशंकर पचौरी
युवा संवाद में बोले मुख्य वक्ता मानस मर्मज्ञ उमाशंकर पचौरी, एसपी धर्मराज मीणा भी रहे मौजूद
अब हमें समाज की बुराइयों को मिटाना है: एसपी
भगवान श्री राम जी ने संसार को मर्यादा की शिक्षा दी है। उन्होंने संसार के हर संबंध को मर्यादा में जिया है। राम मंदिर बन गया अब भगवान श्री राम के आदर्श से राष्ट्र को मंदिर बनाना है और घट घट में भगवान राम के आदर्श होना चाहिए। यह बात ब्यावरा नगर के स्थानीय वल्लभा परिसर में आयोजित राम मंदिर से राष्ट्र मंदिर तक विषय पर युवा संवाद कार्यक्रम में मुख्य वक्ता मानस मर्मज्ञ उमाशंकर पचौरी ने कही। उन्होंने कहा कि अब काम यहां से नया शुरू होगा। सौतेली माता के द्वारा दिए गए वनवास को सहर्ष स्वीकार किया। यह भगवान राम ने हमें सिखाया है। उन्होंने कहा कि फिल्मों ने युवाओं को कंफ्यूज किया है। आज क्या बता दिया, कल क्या बता दिया था। इससे हमारी पीढ़ी कंफ्यूज हो रही है। लेकिन भगवान राम का चरित्र एक सिद्धांत सिखाता है। उस पर ही हमें चलना है। केवल सेना से ही राष्ट्र सुरक्षित रहता बल्कि जिस राष्ट्र के युवा जाग्रत हो जाए वहां देश सुरक्षित हो जाता है। अब कोई भी भारत को क्षति नहीं पहुंच सकता। अब भारत का युवा राम मंदिर से प्रेरणा लेकर राष्ट्र मंदिर बनाने में जुट गया है,कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला पुलिस अधीक्षक धर्मराज सिंह मीणा रहे, अध्यक्षता कथावाचक सुदर्शन शर्मा ने की।
अब हमें समाज की बुराइयों को मिटाना है: एसपी
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एसपी धर्मराज सिंह मीणा ने कहा कि अब हमें देश से भाषावाद, जातिवाद, भेदभाव, छुआछूत जैसी बुराइयों को मिटाना है। इतिहास में लिखा है राष्ट्रनिर्माण में सबसे पहली शर्त है हम एक जुट हो जाएं। भगवान राम के आदर्श को मानकर कार्य करें। हमें आगे का भारत युवाओं को तय करना है। पाश्चात्य विकार से दूर रहे। हम अपने इतिहास को भूलते जा रहे है। इस स्वाभिमान को फिर से जाग्रत कीजिए। सुबह से लेकर शाम तक हम दैनिक जीवन मे कितनी मर्यादा को तोड़ते है। इसका ध्यान करना होगा। फिर भगवान राम की मर्यादाओं से प्रेरणा लेकर अच्छे समाज का निर्माण करें। भगवान राम से मर्यादाओं की शिक्षा लें मर्यादा हमे सिखाती है कि हम सब समान है।
समरसता का सबसे बड़ा आदर्श है राम
मुख्य वक्ता श्री पचौरी ने कहा कि भगवान श्री राम को अल्पकाल में ही सारी शिक्षा आ गई थी। उन्होंने समरसता के लिए सीख दी। वे समरसता के लिए सबसे बड़ा उदाहरण है। राम का आदर्श आने के बाद सब समान हो जाएंगे। कोई ऊंचा नीचा नहीं रहेगा। उन्होंने कहा नई शिक्षा नीति में राम के आदर्श है। राम मंदिर के बाद अब राष्ट्र को मंदिर बनाना है। जिससे किसी के मन मे कोई संकोच न हो।कोई भेद न हो। पीढियां आएंगी और जाएंगी लेकिन राष्ट्र बचेगा तो हम बचेंगे। इसलिए अब राष्ट्र को आदर्श के बल पर मंदिर बनाना है। युवा पीढ़ी का चिंतन शुरू हो। अपने घर से भगवान राम के आदर्श , मर्यादा शुरू करना इसके बाद नगर, प्रदेश देश के आवश्यक कार्य करना होगा।
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