हनुमान का बल पवित्रता की पराकाष्ठा है, हनुमान ही ऐसे है जो पवित्र बलशाली है
मानस सम्मेलन के वक्ताओं ने अपने तर्को से हनुमानजी के चरित्र और व्यक्तित्व का सुंदर बखान किया
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ब्यावरा।। मानस के विद्वान वक्ता डा ब्रजेश दीक्षित ने मानस सम्मेलन के दूसरे दिन हनुमान जी के विषय में कई तथ्यों, शास्त्रों और देवताओं के वक्तव्यों के आधार पर बताया कि अगर किसी में पवित्र बल है तो वह हनुमान जी है.
उन्होंने कहा कि उन्हें मानस में महावीर कहा है लेकिन मानस में महावीर तो कुंभकरण, रावण , सहित कई राक्षसो व हिरणाकश्यप को भी कहा है लेकिन इनका बल पवित्र नहीं था. पवित्र बल तो केवल हनुमान जी का ही था. इसका तर्क गीता के माध्यम से देते हुए उन्होंने कहा कि गीता के सातवे अध्याय में
भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि जो बल राग , काम से वर्जित है, अर्थात जो बल पवित्र है उसमें मैं हूं इसलिये हनुमान के बल में भगवान है क्योंकि उनका बल पवित्र है. ..
श्री दीक्षित ने कहा कि हनुमान तो कलियुग के राजा है. आपने हनुमान जी के चरित्र की अनेको विशेषताओं से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया. आपने कहा कि हनुमान कभी भी न तो अपना नाम बताते है न कभी अपने गुणों को बताते है. वे विनयशीलता की पराकाष्ठा है. वे लंका में विभीषण से जब यह कहते है कि हमारा नाम प्रात: नाम लेने वाले को आहार भी नहीं मिलता है, यह उनकी विनयशीलता है. वे रावण को अपना नाम भी नहीं बताते है. केवल रामदूत कहते है.
हनुमान जी कथा सुनाने वाले पहले वक्ता जामवंत जी और पहले श्रोता राम जी है. डा दीक्षित ने मानस की चौपाई-पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि, विवेक, विज्ञान निधाना की सुंदर व्याख्या करते हुए सभी को आनंदित कर दिया.
हनुमानजी को प्राप्त बुद्ध योग के विषय में उन्होंने गीता का प्रमाण देते हुए कहा कि श्री कृष्ण ने कहा कि जिसके पास बुद्ध योग होता है उसी के पास बुद्धि होगी. यह योग उसे प्राप्त होता है जिसका मन मेरे में लगा रहता है, जिसने अपने प्राण मुझमें समर्पित कर दिये, जो आपस में मैरी कथा कहता है और स्वयं संतोष में रहता है औरदूसरों को भी संतोष में रखता है. उसी को बुद्ध योग प्राप्त होता है. हनुमान जी को इसीलिए तुलसीदास जी ने बुद्धि निधाना अर्थात बुद्धि का समुद्र कहा है और विवेक उसी के पास होता है जिसे बुद्धि मिल जाती है.
हनुमान जी के विषय में अंगद ने भी रावण को बताया कि जब राम मनुष्य नहीं है, गंगा सिर्फ नदी नहीं है, कामधेनु केवल गाय नहीं है तो फिर रावण तू यह क्यों नहीं मानता कि लंका दहन करने वाला सिर्फ कपि नहीं है.
निर्मल होना ही परमात्मा की ओर जाने का मार्ग है
मानस के दूसरे वक्ता श्री अरविंद भाई ओझा ने कहा कि हनुमान जी का किसी से संबंध नहीं है. उन्होंने श्री राम की सेवा के लिये जन्म लिया है. वे निर्मल मन से ईश्वर को ही भजते है. आपने कहा कि हम परमात्मा को सुनते है तो हमारा जीवन सुधरता है. ईश्वर के दृश्यों को देखते है तो वह हमारे ह्रदय में बसते है. और परमात्मा का ह्दय में बसते है तो मन निर्मल होता है. इसीलिये ईश्वर ने कहा है कि निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट , छल, छिद्र न भावा.
किसी के प्रति पूर्ण समर्पित हो जाना ही भक्ति है.
मानस सम्मेलन के तीसरे वक्ता महेश मिश्रा ने हनुमान जी की भक्ति को प्रतिपादित करते हुए कहा कि किसी के प्रति पूर्ण समर्पित हो जाना ही भक्ति है. किसी के चरणों में अपने व्यक्तित्व को पूर्ण समर्पित कर देना ही भक्ति है. हनुमान जी ने राम को समर्पित कर सच्चे भक्त का परिचय दिया.
हनुमान सबके प्राण है. सबके प्राणों की रक्षा करते है वो राम है और जो राम की मुसीबत दूर कर दे वही हनुमान है. राम को भी वश में कर ले वही हनुमान है. अवतार लेने के बाद भी जो कई काम राम नहीं कर सके वह कार्य हनुमान ने किये है.
प्रारंभ में पूर्व मंत्री ब्रदीलाल यादव, पूर्व विधायक नारायण सिंह पंवार, पुरषोत्तम दांगी, समाजसेवी डा केसी मिश्रा, व्यवसायी महेश अग्रवाल, गोपाल मोदानी, शिव जजावरा, धर्मन्द्र शर्मा आदि ने वक्ताओं का स्वागत किया।
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