अब दंड नहीं, न्याय का भारतीय विधान, आज से लागू हुए 3 नए कानून
एफ आई आर र्दज करने से लेकर फैसला सुनाने तक की समय सीमा तय, गुनहगार बचेगा नहीं और सही फरियादी फंसेगा नहीं
1 जुलाई की तारीख के बाद घटित हुए सभी अपराध नए कानून में दर्ज किए जाएंगे। 1 जुलाई 2024 से देश में आईपीसी, सीआरपीसी का नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो गया है।
सोमवार को राजगढ़ जिला पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता मैं यह बात बताई गई। श्री मिश्रा ने कहा कि साथ आधुनिक तकनीकी का भरपूर इस्तेमाल और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष को कानून का हिस्सा बनने से मुकदमा के जल्दी निपटारे का रास्ता आसान हुआ है। शिकायत संबंध और गवाही की प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के इस्तेमाल से रफ्तार तेज होगी। अगर कानून मे तय समय सीमा को ठीक उसी मंशा से लागू किया गया जैसा की कानून लाने का उद्देश्य है। तो निश्चय ही नए कानून में मुकदमे जल्दी निपटेंगे और तारीख पर तारीख के दिन लद जाएंगे।
संशोधित नए कानून की जानकारियां अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षण के माध्यम से दी गई है।
यह सुधार न्यायिक प्रक्रिया में लंबे समय से चली आ रही देरी को दूर करने के उद्देश्य है। जैसा की प्रसिद्ध अजमेर ब्लैकमेल कांड में देखा गया है। जिसमें स्पष्ट तस्वीरों के कारण 1992 से अब तक पांच दौर की सुनवाई हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। पीड़ित और गवाह या तो गुजर चुके हैं या इतने वृद्ध और बीमार हो चुके हैं की अदालत में उपस्थित नहीं हो सकते। अभियुक्त तकनीकी और प्रक्रियात्मक देरी के कारण न्याय से बचते रहे हैं। नहीं संहिता के तहत यदि आरोप पत्र दाखिल होने के 90 दिनों के भीतर अभियुक्त स्वयं को प्रस्तुत नहीं करता है तो मुकदमा उसके अनुपस्थिति में चलेगा। इस प्रावधान के तहत यह माना जाएगा कि अभियुक्त ने उपस्थित होकर निष्पक्ष सुनवाई का अपना अधिकार खो दिया है और 90 दिन मैं न्यायालय द्वारा प्रकरण का निराकरण कर दिया जाएगा।
पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा एवं वरिष्ठ वकीलों द्वारा कहाकि पुलिसिंग को आम जनता के बीच पहुच बनाने व त्वरित न्याय दिलाने के लिए कुछ भारतीय न्याय संहिता में बदलाव किया गया है। जिसे हर जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों को जानने की जरूरत है। उक्त संशोधित भारतीय न्याय संहिता व हुए बदलाव के बाबत पुलिस कंट्रोल रूम में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान वकीलों ने कहा अंग्रेजों के जमाने की 162 वर्ष पुरानी न्याय प्रणाली में बदलाव वक्त की मांग थी। जिससे जनता को त्वरित न्याय मिल सके। यह बदलाव उसी कड़ी के रूप में है। कहा अंग्रेजों के बनाये कानून से पूरा परिवार बिखर जाता था लेकिन अब परिवार को बचाने के साथ अपराधियों को भी सुधरने का मौका मिलेगा।उन्होंने बताया कि पहले हत्या में आईपीसी 302 की धारा लगती थी लेकिन अब बदलाव के बाद बीएनएस की धारा 101 लगेगी। ऐसी एक दर्जन धाराएं जो आईपीसी के तहत लगती थी वह अब भारतीय न्याय संहिता के तहत लगेगी। जिसमे धोखाधड़ी, रेप, गैंगरेप, दहेज हत्या, मानहानि, अपहरण के मुकदमें अब भारतीय न्याय संहिता के तहत दर्ज होंगे।