Rajgarh Khulasa M.P.- अंधा बाँटे रेवड़ी अपने अपने को दे वाली कहावत को चरितार्थ करने में लगे जिम्मेदार अधिकारी

अजब एमपी की गजब की नपा में नेताओं को बना दिया गरीब,गरीबों का छिना हक

अंधा बाँटे रेवड़ी अपने अपने को दे वाली कहावत को चरितार्थ करने में लगे जिम्मेदार अधिकारी

 

अभी तो ट्रेलर है आगे-आगे देखते जाओ और अन्य व्यक्तियों का भी खुलासा होना बाकी है

चार प्रतिष्ठानों का मालिक गरीबी रेखा के नीचे कैसे ?

मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के अंतर्गत गरीबों के हक पर डाला जा रहा डाका

नपा से RTI के तहत मांगी गई जानकारी बिना प्रमाणिकता के दे दिगई डॉक्यूमेंट की छायाप्रति

ब्यावरा।। अजब एमपी के गजब के राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर के कारनामें आप देखोगें तो पता चलेगा ऐसे हि नही जानी जाति ब्यावरा नगर की नगर पालिका, नगर के ब्यावरा में अपने आपको भाजपा नेता बताने वाला वार्ड क्रमांक 3 भंवरगंज निवासी आकाश छैइया पिता संतोष छैइया, सागर रेडियो एंड टेंट, आकाश इलेक्ट्रिकल्स, सागर ट्रेडर्स, छैइया कंस्ट्रक्शन जैसे प्रतिष्ठान होने के बावजूद गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर मजदूरी करने वाले आकाश छैइया न केवल शासन को गुमराह कर रहा, बल्कि गरीबों के अनाज पर भी डाका डाल रहा। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार राजगढ़ जिले के ब्यावरा नगर पालिका परिषद के शहरी क्षेत्र में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की पहचान एवं गणना वर्ष 2003 के अंतर्गत ब्यावरा कोड 1050 के वार्ड क्रमांक तीन में पात्र परिवार की क्रम संख्या 243 संतोष पिता गंगाराम का बीपीएल सर्वे सूची क्रमांक 62 पर वार्ड क्रमांक तीन खाता क्रमांक 141 पर रिकॉर्ड में दर्ज है। शासन के तमाम नियमों को ताक में रखते हुए चार प्रतिष्ठानों के मालिक को लापरवाह अधिकारियों ने मध्यप्रदेश फूडस्टफ़्स डिस्ट्रीब्यूशन कंट्रोल ऑर्डर 1960 के अंतर्गत ना केवल गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले को बीपीएल का राशन कार्ड जारी कर दिया बल्कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अनुसार मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के अंतर्गत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली हेतु पात्रता खाद्यान्न पर्ची एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा जारी कर दिया। समग्र परिवार आईडी 26295883 पात्रता परिवार की श्रेणी बीपीएल राशन कार्ड धारक 141 को 20 किलो खाद्यान्न एवं गेहूं, चावल, मोटा अनाज का भी भरपूर लाभ दिया जा रहा है।

भाजपा शासन काल में अंधा बाँटे रेवड़ी अपने अपने को दे वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए,वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने समय रहते ध्यान नहीं दिया तो दीनदयाल रसोई योजना को भी पलीता लगाते देर नहीं करेंगे। अब देखना यह होगा की अधिकारों के कान में जू रेंगती है या नहीं, जिले में बैठे अधिकारि किया इस मामले पर लेंगे संज्ञान, निष्पक्ष जांच करवा कर करेंगे कार्यवाई ?

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