पत्रकारों के लिए सुरक्षा कानून मात्र घोषणा तक सीमित, लेकिन नहीं होता लागू
एक अखबार में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की फोटो छपी है, जिसमें लेख किया गया है की पत्रकारों के साथ बदसलूकी करने वालों पर दर्ज होगी एफआईआर। आगे लिखा गया है कि पत्रकारों से अभद्रता करने वालों पर लगेगा 50 हजार का जुर्माना एवं पत्रकारों से बदसलूकी करने पर हो सकती है 3 साल की जेल। पत्रकार को धमकाने वाले को 24 घंटे के अंदर जेल भेज दिया जाएगा। पत्रकारों को धमकी के आरोप में गिरफ्तार लोगों को आसानी से नहीं मिलेगी जमानत। इसी तरह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने भी कहा है की पत्रकारों को धमकाने पर 24 घंटे के अंदर जेल। और पत्रकारों से अभद्र पूर्वक व्यवहार करने या धमकाने की कोशिश करेगा इस पर 50 हजार का जुर्माना लगाया जा सकता है साथ ही उसे 3 वर्ष की जेल भी हो सकती है। लेकिन यह कानून बना भी है या नहीं। आगे यह भी कहा गया है कि पत्रकारों को धमकाने के आरोप में गिरफ्तार लोगों को आसानी से जमानत भी नहीं मिलेगी। एक अखबार में यह भी छपा है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को नसीहत दी है कि पत्रकारों को धमकाने, ना हो ताकत का इस्तेमाल। ऐसे अनेक अखबारों में पत्रकारों के हितों के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने बड़ी-बड़ी घोषणा तो की है लेकिन अभी तक कानून क्यों नहीं बनाया गया है। मौखिक बोलने से काम नहीं चलता जब तक यह लागू ना हो जाए। ऐसे लोगों के द्वारा पत्रकारों के साथ अभद्रता, गाली गलौज, और मारपीट के मामले पर कोई ठोस कार्यवाही कानून द्वारा नहीं की जाती। साधारण सा मामला बनाकर आसानी से छोड़ दिया जाता है।
*छत्तीसगढ़ राज्य के सीएम को बधाई*
बता दें कि छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल की पत्रकारों के द्वारा बहुत सराहना की जा रही है, जिन्होंने पत्रकारों की सुरक्षा के बारे में सोचा है। छत्तीसगढ़ राज्य के सीएम भूपेश बघेल जी के द्वारा पत्रकारों के लिए सुरक्षा कानून लागू कर दिया गया है, लेकिन मध्यप्रदेश में अभी तक पत्रकारों के हितों में कोई कानून लागू नहीं किया गया है। पत्रकारों के द्वारा अनेक बार पत्रकारों की सुरक्षा व अन्य मांगों को लेकर अनेक बार ज्ञापन दिया जा चुका है। लेकिन पत्रकारों के हितों में अभी तक ऐसा कोई कानून बनाया ही नहीं गया है। जिससे प्रदेश भर में पत्रकारों की हत्या, प्रताड़ना, झूठे मुकदमे दर्ज करना जैसे मामले उजागर होते रहे हैं।