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व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की अभिनव पद्धति है दैनिक शाखा: सुनील कुलकर्णी
आरएसएस का गुणवत्ता शिविर एवं प्रकटोत्सव का आयोजन, बोले अखिल भारतीय सह शारिरिक प्रमुख
ब्यावरा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दैनिक शाखाओं में व्यक्तित्व निर्माण का कार्य किया जाता है। यही व्यक्तित्व निर्माण राष्ट्र निर्माण की एक अभिनव पद्धति है। अर्थात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यही शाखा राष्ट्र निर्माण की अभिनव पद्धति है। शाखा से निर्मित श्रेष्ठ व्यक्तित्व समाज और राष्ट्र के कार्य में लगकर देश को आगे बढ़ाने का कार्य करते है। संघ के संस्थापक परम पूज्य डॉ. हेडगेवार जी ने यह जो अभिनव पद्धति हमें दी है। उसमें जो नित्य प्रतिदिन आता है उसके ऊपर विविध कार्यक्रमों के द्वारा जो संस्कार होते हैं। उसी से व्यक्ति नर से नरोत्तम और आगे नारायण बन जाता है। यह बात स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित आरएसएस के गुणवत्ता शिविर एवं प्रकटोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस के अखिल भारतीय सह शारीरिक प्रमुख सुनील कुलकर्णी ने कही। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन का लक्ष्य यही होना चाहिए कि वह नर से नारायण बन जाए। कार्यक्रम की अध्यक्षता हम्माल संघ के अध्यक्ष प्रताप सिंह कुशवाह ने की।इस अवसर पर संघ के नगर संघचालक रामबाबू मेवाड़े सहित कई पदाधिकारी उपस्थित थे।
शाखाओं से तैयार हुए लाखों स्वयंसेवक
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इन्हीं शाखाओं से गत 98 वर्षों से लाखों स्वयंसेवक तैयार हुए हैं। जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। दैनिक शाखा के शारीरिक, बौद्धिक कार्यक्रमों के द्वारा इन संस्कारों का जीवन पर प्रभाव पड़ता है और उसके व्यक्तित्व में राष्ट्र सर्वोपरि होता है। प्रार्थना की एक पंक्ति है जो स्वयंसेवको के लिए मंत्र होता है “प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्रांगभूता,इमे सादरं त्वां नमामो वयम्।” हे प्रभू, हम इस राष्ट्र के अंगभूत घटक तुझे आदर पूर्वक नमस्कार करते है। यह जान कर जो आचरण करता है उसके मन में इस समाज से बदमाशी करना, समाज में भेदभाव करना, समाज से घूस लेना, भ्रष्टाचार करना यह सपने में भी नही आता।
स्वयंसेवकों ने किया शारिरिक प्रदर्शन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित इस गुणवत्ता शिविर के प्रकट प्रकटोत्सव कार्यक्रम के दौरान नगर की 18 शाखाओं के दो हजार स्वयंसेवकों में से चयनित 190 स्वयंसेवकों ने शारीरिक प्रदर्शन किया। जिसमें दंड युद्ध, नियुद्ध, पदविन्यास, दण्ड योग, घोष वादन, संचलन और व्यायाम योग की पूर्ण गणवेश में सामूहिक प्रस्तुतियां दी गई। प्रकटोत्सव कार्यक्रम में नगर के सैकड़ों प्रबुद्ध जन, गणमान्य नागरिक भी शामिल हुए।
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