गुना खुलासा जालम सिंह ||
ये केसी बेरुखी प्रशासन की? हम भी मानव है सरकार धूप गर्मी हमे भी सताती है, झुलसाती है..
भीषण गर्मी मे खाद के लिए अन्न दाता कतार मे खड़ा हुआ है।
अन्नदाता भीषण गर्मी ओर 46 के आस पास में टेंपरेचर है, मजबूरी में लगा लाईन में।
बमोरी विधानसभा के बाघेरी मै खाद के लिए किसान तपती धूप 46 डिग्री तक चढ़ते भीषण तापमान मैं खाद के लिए लाइन मै लगा है।
ना कोई छांव की व्यवस्था है ना पानी की व्यवस्था है न बैठने की व्यवस्था है।प्रशासन और जनप्रतिनिधिओ का इस और ध्यान नहीं हैं। क्या किसान इंसान नहीं है? क्या किसान को धूप नहीं लगती है ?
क्या किसान को गर्मी नहीं लगती है?
क्या किसान के शरीर में जान नहीं है ?जो ऐसी तपती धूप में लाइन में खड़ा किया जा रहा है किसान को।सरकार दावे तो करती है किसान हितैषी होने का, क्या किसान के लिए पंचायत स्तर पर खाद उपलब्ध नहीं करवा सकती है?
क्या बमोरी के जनप्रतिनिधि और नेता यह बात सरकार तक नहीं पहुंचा सकते हैं? कि किसानों को खाद पंचायत स्तर पर ही उपलब्ध करवाया जाए।
इस वीडियो को देखकर क्या आप कह सकते हो कि इस देश की सरकार किसान हितैषी है।
कहां है बमोरी के नेता कहां है बमोरी के जनप्रतिनिधि AC से बाहर निकाल कर देखिए किसान की दुर्दशा पानी के लिए जनता परेशान बिजली के लिए जनता परेशान खाद के लिए किसान परेशान आखिर चल क्या रहा है बमोरी में। क्या किसान राजनीति का शिकार हो रहा है? जो इस भयावह आग उगलती धूप और गर्मी मे यूरिया खाद के लिए कतार मे लगा हुआ है। जो दृश्य बमोरी के बाघेरि मे आज देखने मे मिला उसमे राजनीति की बु आ रही है।
क्या बमोरी के किसानो के साथ हो रही राजनीति?
मौजूदा हालात और कथित सुपारी मीडिया की रिपोर्ट देखकर तो ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। जिस तरह पूरे जिले भर मे मात्र बमोरी के किसानो को तपती धूप झुलसती गर्मी मे कतार मे लागया जा रहा है, उससे राजनीतिक षड्यंत्र की बु आ रही है। एक और किसान को बमोरी के जनप्रतिनिधि का हवाला देकर सोसल मीडिया पर यह जताने की कोशिश की जा रही है शायद विधायक इसके जिम्मेदार है? जबकि किसानो की हर प्रकार की दुविधा को दूर करने का कार्य पहले स्तर पर जिला प्रशासन का होता है, दूसरा सरकार का, पर बमोरी मे जिला प्रशासन और सरकार द्वारा किसानो को सुविधा मुहिया न करते हुए उसे तपती धूप और गर्मी मे झुलसाय जा रहा है। आगे किसान और जनता खुद समझदार है….।
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