मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, हम लोग मूलतः खेती और बाड़ी के काम में पहले से लगे रहे। जो मुरली बजाते थे, वे हुए मुरलीधर भगवान कृष्ण कन्हैया, लेकिन जो हल को धारण करते थे, वे हलधर हुए धरणीधर, जो हमारे आराध्य हैं। किरार – धाकड़ समाज का हल और बंदूक से करीब का नाता है। खेती से लेकर खेलों तक, शिक्षा से लेकर उद्योग तक, हर क्षेत्र में आज अपने बच्चे सफलता का परचम लहरा रहे हैं। हम लोग अन्न के भंडार भरते हैं, जब जरूरत पड़ती है, तो भारत माता की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।
CM रविवार को भोपाल के दशहरा मैदान में अखिल भारतीय किरार, धाकड़, नागर, मालव सम्मेलन में शामिल हुए। युवक-युवतियों का यह परिचय सम्मेलन अखिल भारतीय किरार क्षत्रिय महासभा और अखिल भारतीय धाकड़ महासभा के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। समाज के होनहार युवाओं को सम्मानित भी किया गया।
मुख्यमंत्री ने बच्चों का हौसला बढ़ाते हुए कहा, जब मैं कक्षा 7 में पढ़ता था, तब मैंने पहला आंदोलन किया था। ये आंदोलन मजदूरों के लिए था। मजदूरी ढाई पाई नहीं, पांच पाई देने के लिए था। उस आंदोलन में मेरी जो पिटाई हुई थी, वह आज तक याद है। समाज को शिक्षा पर जोर देना चाहिए। खेती के साथ व्यवसाय पर भी ध्यान देना चाहिए। हमारे बच्चे स्टार्टअप का काम भी शुरू कर सकते हैं। हम गरीब नहीं रहेंगे, हम रोएंगे नहीं। किरार – धाकड़ समाज में कोई अशिक्षित नहीं रहेगा, हम सब को पढ़ाएंगे।
शिवराज सिंह चौहान किरार महासभा के संरक्षक भी हैं। उनकी पत्नी साधना सिंह किरार महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।