भाजपा में बदलाव की सुगबुगाहट के बीच एकजुटता दिखाने पर जोर, सीएम के दिल्ली दौरे पर टिकी नजरे
कर्नाटक में भाजपा को मिली हार के बाद संगठन ने चुनावी राज्यों के लिए कमर कस ली है। बदलाव की सुगबुगाहट भी तेज हो गई है। बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास पर चार दिग्गज नेताओं की बैठक के बाद प्रदेश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इसे प्रदेश में बदलाव से पहले एकजुटता दिखाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, अब सबकी नजरें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 27 और 28 मई के दिल्ली दौरे पर टिकी हैं। ऐसे तो यह दौरा आधिकारिक है लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्रीय नेतृत्व से उनकी मुलाकात होगी और बदलाव की रूपरेखा तय होगी मध्यप्रदेश में इसी साल के अंत में चुनाव है। इससे पहले पुरानी और नई भाजपा की लड़ाई खुलकर सामने आने लगी है। नाराज और असंतुष्ट नेताओं के उपेक्षा के आरोपों ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। सागर में मंत्रियों के वर्चस्व की लड़ाई सामने आने के बाद बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बैठक की। इससे प्रदेश में बड़े बदलाव के कयास लग रहे हैं। मध्य प्रदेश में भी मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है। कुछ मंत्रियों को बदला जा सकता है। प्रदेश भाजपा में बढ़ते विरोध को दबाने के लिए कई नेताओं को अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसे लेकर सियासी चर्चा तेज हो गई है। इस मामले को लेकर भाजपा नेता कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है
*गृहमंत्री ने की प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात*
शुक्रवार को गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा अचानक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा से मिलने उनके निवास पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में मुलाकात हुई। मुलाकात को गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सामान्य बताया। उन्होंने कहा कि वीडी शर्मा हमारे नेता और बड़े भाई है। हालांकि, इसे भी एकजुटता दिखाने के प्रयास बताया जा रहा है।
*नेताओं का असंतोष आ रहा सामने*
भाजपा में प्रदेशभर में नाराज नेताओं को मनाने की कवायद में असंतोष खुलकर सामने आया है। जबलपुर पश्चिम से पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री हरेंद्रजीत सिंह बब्बू ने अपनी उपेक्षा का आरोप लगाया था। हालांकि, कुछ ही घंटे बाद वे अपने बयान से पलट गए। विजय राघौगढ़ के पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह ने भी अपनी उपेक्षा का मुद्दा उठाकर कांग्रेस में जाने की धमकी दी है। कटनी में कुछ पूर्व विधायक तो खुलकर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के खिलाफ बयान दे रहे हैं। उनका आरोप है कि उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है। कार्यकर्ता सत्ता का नहीं सम्मान का भूखा है, जो उसे नहीं मिल रहा है।
*केपी यादव ने भी खोला है मोर्चा*
नई और पुरानी भाजपा की लड़ाई खुलकर सतह पर आ गई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराने वाले गुना सांसद केपी यादव खुलकर बयान दे रहे हैं। पार्टी में लगातार हो रही उपेक्षा से नाराज केपी ने दो टूक शब्दों में कहा कि कुछ लोग पार्टी की थाली में खा रहे हैं और उसी में छेद कर रहे हैं। उनका इशारा ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों की ओर था। इसके बाद पूर्व मंत्री और ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक इमरती देवी का बयान आया कि गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से महाराज ही चुनाव लड़ेंगे। केपी यादव को टिकट नहीं मिलेगा। ये सारी बातें भाजपा को बेचैन कर रही है
*2020 के बाद से नहीं हुआ बदलाव*
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटैरिया ने कहा कि भाजपा सरकार और संगठन में बदलाव के कयास लंबे समय से लग रहे हैं। 2020 में सरकार बनने के बाद से अब तक मंत्रिपरिषद में बदलाव या विस्तार नहीं हुआ है। मंत्रियों के चार पद खाली हैं। दूसरी तरफ संगठन में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। उन्हें विस्तार देने की कोई सूचना अधिकृत तौर पर नहीं आई है। कहीं न कहीं पार्टी की गुटबाजी सतह पर भी आ रही है। इस स्थिति से निपटने के लिए जल्दी कोई बड़े फैसले लिए जा सकते हैं।
*भाजपा मुख्यालय में हुई बड़ी बैठक*
प्रदेश भाजपा मुख्यालय में नेताओं बड़ी बैठक हुई। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा शामिल हुए। मुख्यालय में ओबीसी मोर्चा की बैठक चल रही थी। हालांकि सीएम इस बैठक में शामिल नहीं हुए। करीब 45 मिनट की बैठक के बाद सीएम मुख्यालय निकल गए।
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