Bhopal MP Khulasa // भोपाल की गोशाला में कंकाल इतने कि गिनना मुश्किल : कुत्ते नोच रहे गायों के शव; इन्हीं को बेचकर निकालते हैं गोशाला का खर्च

भोपाल की सबसे बड़ी गोशाला से 2131 गाय गायब

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 25Km दूर है जीवदया गोशाला। यह भोपाल की सबसे बड़ी गोशाला है। हकीकत में इसे ‘कंकालों’ की गोशाला या बूचड़खाना कहें तो गलत नहीं होगा, क्योंकि मैदान में बिखरे पड़े गायों के शवों की तस्वीर यही बयां कर रही हैं। इन शवों को कुत्ते नोच रहे हैं। कंकाल इतने कि इनको गिनना मुश्किल है। दूर-दूर तक सिर्फ कंकाल और शव ही नजर आ रहे हैं। गोशाला में जो गायें या बछड़े जिंदा हैं, उनमें से कई तड़प रहे हैं। किसी के शरीर से खून निकल रहा है तो कोई अधमरे हैं। उनकी ऐसी स्थिति देख किसी का भी दिल पसीज जाए। खुलासा न्यूज़ की टीम इसी गोशाला में पहुंची। जानिए, भोपाल की सबसे बड़ी गोशाला के हाल, जहां से सैकड़ों गायें रिकॉर्ड से गायब हो गईं…

ग्राउंड जीरो पर गोशाला की असलियत

30 जनवरी 2023, दोपहर 12.30 बजे भदभदा के नजदीक स्थित बरखेड़ी औबेदुल्ला गांव के किनारे से गुजर रही सड़क पर ट्रैफिक सामान्य है। इसी सड़क से करीब 500 मीटर दूर बांयी ओर है जीवदया गोशाला। एक बड़े खुले बाड़े में 500 से ज्यादा गाय और बैल झुंड में खड़े हैं। वहीं, गायों के लिए बना शेड खाली है। यहां गोबर की दुर्गंध उठ रही है। जबकि एक दूसरे शेड में एक बछड़ा बेहोश पड़ा है। उसी बछड़े से महज 20 कदम की दूरी पर एक अन्य बछड़ा भी जमीन पर पड़ा नजर आया। जो जमीन पर गिरी जंगली घास को खाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसमें इतनी ताकत नहीं कि बैठकर जमीन पर रखी घास को खा सके।

गायों के इसी शेड के बाहर करीब 40 फीट लंबी दो पानी की टंकियां हैं। जिनमें काई की परत जमी है। वहीं गोशाला के अंदर बांयी ओर करीब 10 हजार वर्गफीट का एक शेडनुमा गोदाम बना है। इसे गायों के लिए भूसा स्टोर करने के लिए बनाया गया है, जो पूरी तरह से खाली है।

गोशाला के बाहर शिला पटि्टका भी लगी है। इस पर दर्ज है कि वर्ष 2006 में इसका भूमिपूजन किया गया था।

अचानक से गोशाला से नजदीक से गुजर रही सड़क पर पुलिस की गाड़ियों का सायरन बजता है। कोई कुछ समझ पाए, उससे पहले ही सूखी सेवनिया पुलिस थाना के अफसर गेट पर मोर्चा संभाल लेते हैं। पूछने पर बताते हैं कि करणी सेना के कार्यकर्ता, गोशाला के बाहर प्रदर्शन करेंगे। इसकी सूचना दी गई है। प्रदर्शन के दौरान गोशाला को नुकसान न हो, इसके लिए एहतियातन पुलिस फोर्स लगाया है।

पुलिस के पहुंचने के करीब 20 मिनट बाद 30 से ज्यादा गाड़ियों में करणी सेना कार्यकर्ता गोशाला पहुंचे। पुलिस, गोशाला में एंट्री को रोकती है, लेकिन करणी सेना के कुछ उत्तेजित कार्यकर्ता गोशाला में दाखिल हो जाते हैं। प्रशासन और गोशाला विरोधी नारे लगाना शुरू कर देते हैं। इसके बाद करीब 2 घंटे तक गोशाला प्रबंधन और करणी सेना कार्यकर्ताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता है। जो एसडीओपी, तहसीलदार और पशुपालन विभाग के अफसरों के पहुंचने के बाद खत्म होता है।

गोशाला के बाहर 300 मीटर एरिया में गायों के शव

गोशाला के शेड से करीब एक किलोमीटर दूर सड़क किनारे लगभग 300 मीटर के दायरे में गाय, बैल, बछड़े और बछियों के शव पड़े हैं। कुछ गायों के शव पूरी तरह से गल चुके हैं, जबकि कुछ गायों के शव फूले हुए हैं। इन्हीं बिखरे हुए शवों के बीच में एक पॉलीथिन से कवर करके, गायों के शवों से उतारी गई खाल को रखा गया है। इसी तरह गाय के सड़े-गले शवों की हडि्डयां भी जगह-जगह बिखरी हुई हैं।

सोमवार को करणी सेना के साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी गोशाला पहुंच गए। पशुपालन विभाग की डॉ. स्नेहलता पटले भी निरीक्षण करने पहुंचीं।

आरटीआई में पता चला 2131 गायें गायब हो गईं

अखिल भारतीय सर्वदलीय गोरक्षा महाभियान समिति के गौरव मिश्रा ने पशुपालन विभाग से आरटीआई के तहत जानकारी जुटाई। इसमें पता चला कि इस गोशाला में एक साल में 2131 गायें गायब हो गईं। रिकॉर्ड अनुसार गोशाला में जनवरी 2022 में 1961 गाय थीं। इसकी पुष्टि खुद पशुपालन विभाग ने की है, जबकि नगर निगम ने सालभर में यहां 2236 गाय भेजीं। इनमें से 116 गाय की मौत हो गई।

मौजूद रिकॉर्ड के हिसाब से फिर भी गोशाला में 4081 होनी चाहिए थी, लेकिन यहां अभी 1950 गाय होना दर्ज है। फिर बाकी 2131 गाय कहां गायब हो गईं? जबकि गोशाला गायों की संख्या की जानकारी हर महीने पशुपालन विभाग को देती है। मामले के खुलासे के बाद डेढ़ हजार गायों की मौजूदगी सामने आई है। यानी, गायों की संख्या और भी कम हो सकती है। अब जानिए आगे की कहानी…।

चारे की जगह जंगली घास, पानी में काई

गोशाला में गायों के गायब होने के खुलासे के बाद खुलासा न्यूज़ की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची। गोशाला के अंदर गायों या बछड़ों के पास हरे चारे या भूसे की जगह ‘पाल’ पड़ा था। ‘पाल’ एक तरह से जंगली घास है, जो आम तौर पर मवेशी नहीं खाते, लेकिन ‘मरता नहीं तो क्या करता’… यहां मवेशी इसे ही खा रहे थे। कुछ गायें एवं बछड़े-बछिया मृतप्राय अवस्था में थीं। जिन्हें देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए। यहां पहुंचे कुछ गोसेवक गंभीर बीमार या घायल पशुओं को अपने हाथों से चारा-पानी खिला-पिला रहे थे।

जीवदया गोशाला में कई गायें और बछड़े ऐसी हालत में मिले, जो गंभीर रूप से बीमार थे। पशु चिकित्सा सेवाएं के अधिकारियों ने इन गायों की हालत देखी।

चमड़ी-हड्‌डी निकलवाकर बेचते हैं, इससे होता है संचालन

जीवदया गोशाला का संचालन 5-6 साल से गायों के शव बेचकर किया जा रहा है। सोमवार को जब गायों के गायब होने का मामला सामने आया तो पुलिस, पशु पालन विभाग के अधिकारी और सामाजिक संगठनों के लोग गोशाला पहुंच गए। उनके सवालों के जवाब में खुद गोशाला प्रबंधक रामदयाल नागर ने शव बेचकर गोशाला चलाने का खुलासा किया।

नागर के मुताबिक गोशाला के लिए जो अनुदान मिलता है उससे संचालन नहीं हो पाता है, इसीलिए गोशाला में मरने वाली गायों के शव उठाकर हम मैदान में फेंक देते हैं। फिर इनकी चमड़ी-हड्‌डी निकलवाकर बेच देते हैं। इसके लिए गोशाला ने शहर के ही एक चमड़ा कारोबारी से गठजोड़ किया है। जब पुलिस ने पूछा कि शव को कैसे दफन करते हो तो गोशाला वाले जवाब नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता, हम तो सालों से शव मैदान में फेंक देते हैं।

ऐसे दफनाया जाना चाहिए गाय का शव

5 फीट के गड्‌ढे में नमक बिछाकर शव रखते हैं, फिर ऊपर से नमक डालकर मिट्‌टी से ढंक देते हैं। सालभर में शव हडि्डयों समेत गल जाता है। इससे उच्च कोटि की खाद बनती है।

गोशाला से एक किमी दूर ही ‘बूचड़खाना’

गोशाला से करीब एक किलोमीटर की दूरी, जहां ‘बूचड़खाना’ जैसी तस्वीर थी। एक बड़े से ग्राउंड में गायों के शव और कंकाल पड़े थे। जिन्हें कुत्तों के झुंड नोच रहे थे। वहीं, चारों ओर कंकाल ही कंकाल पड़े थे। तेज हवा के झौंके के साथ शव-कंकालों से बदबू भी चारों ओर फैल रही थी। इससे यहां खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था। यहीं पर गायों के शरीर से उनका चमड़ा भी उधेड़ा जा रहा था। एक जगह तो चमड़ों को इकट्‌ठा करके रखा गया था। इस कंकाल-शवों के आसपास ही यलो कलर के टैग भी पड़े हुए थे। जब गोशाला प्रबंधन से पूछा तो उसका कहना था कि नगर निगम भोपाल ही चमड़े उधड़वाता है। इसके लिए भोपाल के एक कसाई को ठेका भी मिला है।

गोशाला से कुछ दूर ग्राउंड में गायों के शव और कंकाल पड़े थे। बदबू इतनी अधिक आ रही थी कि खड़े रहना मुश्किल हो रहा था।

गोशाला में 25 से ज्यादा कर्मचारी

जीवदया गोशाला समिति गोशाला की देखभाल करती है। इसके अध्यक्ष अशोक जैन हैं। 25 से ज्यादा कर्मचारी हैं। इनमें चरवाहे भी शामिल हैं। यहां पर फिलहाल दूध के उत्पाद और इसे बाजार में बेचने की जानकारी सामने नहीं आई है, क्योंकि कई गाय बीमार, घायल अवस्था वाली हैं। गोबर से खाद, गैस जरूर बनाया जाता है। सुपरवाइजर रामदयाल नागर ने बताया था कि चमड़ा और हड्डी बेचकर गोशाला का खर्च चलाते हैं।

गांधी नगर के मुकेश की गाय का टैग यहां की गायों के बीच

जिस ग्राउंड पर गायों के शव और कंकाल पड़े हैं। वहीं कई एनिमल टैग भी पड़े थे। जब इनकी जांच की गई तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। भोपाल के कृष्णा ठाकुर की गाय को नगर निगम ने जीव दया गोशाला भेजा था, जिसकी वहां मौत हुई। उसका शव भी वहीं पर फेंका गया। जीवदया गोशाला की मृत गायों के शव जहां फेंके गए, वहां रामानंद गोशाला की गाय का शव भी फेंका है।

वार्ड नंबर 2 (गांधी नगर) में रहने वाले मुकेश यादव की गाय को मप्र के एनिमल हस्बेंड्री डिपार्टमेंट ने 170288342482 टैग नंबर दिया था। जो यादव की गाय के कान में लगाया गया था। INAPH पोर्टल की रिपोर्ट मुताबिक संबंधित टैग धारक गाय का जन्म 28 अगस्त 2018 को हुआ था। इसे संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए ट्रिविलेंट वैक्सीन भी लगाई गई है, लेकिन जीवदया गोशाला की मृत गायों के बीच मुकेश यादव के पशुधन के नाम से रजिस्टर्ड 170288342482 नंबर की गाय का टैग भी पड़ा है।

जिस जगह गायों के शव और कंकाल पड़े हैं, वहां पर एनिमल टैग भी पड़े मिले।

कांग्रेस ने भाजपा को घेरा

कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा ने ट्वीट के जरिए राज्य सरकार को घेरा है। उन्होंने लिखा- गोमाता की भाजपा सरकार में भूख-प्यास से तड़पकर मौत हो रही है। इससे पहले भी बैरसिया (भोपाल) में भाजपा नेत्री की गोशाला में सैकड़ों गायों की मौत हुई थी। FIR होने के बाद भी भाजपा नेत्री निर्मला देवी शांडिल्य की गिरफ्तारी नहीं हुई।

कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा ने ट्वीट के जरिए राज्य सरकार को घेरा है।

लोगों की भीड़ लगी तो, बात तू-तू, मैं-मैं तक पहुंची

गोशाला में गायों की मौत और दो हजार से ज्यादा गायें गायब होने की खबर मिलते ही राजपूत करणी सेना (जीवन सिंह) से जुड़े कई लोग और पेट लवर वहां पहुंच गए। वे गोशाला के अंदर जाने लगे, लेकिन पुलिस ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया। यहां करणी सेना और पुलिस के बीच जमकर हुज्जत हुई। आधे घंटे चले हंगामे के बाद लोग अंदर घुस गए। वे सीधे गोशाला में गायों के पास पहुंचे। अंदर नजारा देख चौंक गए। कुछ गायों के शरीर से खून आ रहा था तो कुछ इतनी बीमार थी कि उठ नहीं पा रही थी। वे गोशाला के एक-एक हिस्से में पहुंचे। इस दौरान उनकी सुपरवाइजर रामदयाल नागर से भी जमकर हुज्जत हुई। बात तू-तू, मैं-मैं तक पहुंच गई। काफी देर तक हंगामा चलता रहा।

गोशाला में पहुंचे राजपूत करणी सेना और पेट लवर ने गायों की स्थिति को भी देखा। इसके बाद यहां पर जमकर हंगामा हुआ।

करणी सेना के अजीत सिंह ने बताया कि गोशाला में बड़े पैमाने पर धांधली हो रही है। लंबे समय से जानकारी मिल रही थी कि यहां पर गायों का सही ढंग से ध्यान नहीं रखा जा रहा है। ग्राउंड में गायों के कंकाल और शव देखे जा सकते हैं। सरकार इसे संज्ञान में लें और जो भी दोषी मिले, उस पर कड़ी कार्रवाई करें।

गायों की मौत के चलते राजपूत करणी सेना और पेट लवर गोशाला में पहुंचे। इस दौरान उनकी सुपरवाइजर रामदयाल नागर से बहस भी हो गई।

अफसर पहुंचे, देखकर रह गए दंग

उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. अजय रामटेके भी निरीक्षण करने के लिए गोशाला पहुंचे। उन्होंने गोशाला का एक-एक हिस्सा देखा और नजारे देखकर दंग रह गए। उन्होंने बताया कि पशुओं को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल रहा था और न ही साफ पानी। काई लगा हुआ पानी उन्हें दिया जा रहा था। गायों के शवों को दफनाया जाना चाहिए था, लेकिन खुले में ही शव फेंक दिए गए। आंकड़ों में भी बड़ा अंतर आ रहा था। इसकी जांच करवाई जा रही है। डॉ. अजय रामटेके का कहना है कि तमाम व्यवस्थाओं की पड़ताल के लिए 7 सदस्यीय कमेटी बना दी है। कमेटी 3 दिन में जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी। उसके आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. अजय रामटेके ने जांच के ये पॉइंट बताए

  1. जनवरी 2022 से जनवरी 2023 तक यहां कितने गोवंश आए, कितने मृत हुए और कितने बचे इसकी जांच होगी।
  2. संख्या के हिसाब से देखा जाए तो साढ़े चार हजार तक पशु होने चाहिए, जबकि गोशाला में इतने पशु नहीं है। वे कहां गए? क्या उनकी मौत हो गई, या फिर उतने पशु ही नहीं आए जितनी संख्या बताई जा रही है।
  3. रिकॉर्ड में भी आंकड़ों में बड़ा अंतर आया है।
  4. पशुओं को प्रतिदिन कितना चारा दिया जा रहा है। उनके खाने-पीने की और क्या व्यवस्थाएं हैं।
  5. मृत पशुओं के शवों को एसओपी के तहत दफनाया क्यों नहीं गया, इसकी क्या वजह रही।
पशु चिकित्सा विभाग की टीम जब मौके पर पहुंची तो होद में काई लगा पानी मिला। इस पर अधिकारियों ने आपत्ति जताई है।

दो गायों का पोस्टमॉर्टम, एक के शरीर में निकली पॉलीथिन

करणी सेना से जुड़े लोगों की मांग थी कि मृत गायों का पोस्टमॉर्टम करवाया जाए। काफी हंगामे के बाद शाम को पशु चिकित्सा विभाग की डॉ. स्नेहलता पटले ने दो गायों के शवों का पोस्टमॉर्टम किया। प्रारंभिक जांच में एक गाय की मौत की वजह कैल्शियम की कमी होना सामने आई। वहीं, दूसरी के पेट से बहुत सारी पॉलीथिन निकली। आंतों से पॉलीथिन का बड़ा सा गुच्छा निकला। कंकाल और शवों के पास भी पॉलीथिन के छोटे-छोटे ढेर पड़े थे, जो शवों से बाहर निकले थे। मौके पर राजपूत करणी और पेट लवर भी मौजूद थे। उनके सामने ही पोस्टमॉर्टम किए गए। जिसकी विस्तृत रिपोर्ट एक-दो दिन में आएगी। इसके बाद जिला प्रशासन अगला एक्शन ले सकता है।

जिस समय प्रशासन की टीम मौके पर जांच करने पहुंचे, तब कुछ ही गायें और गोवंश मौजूद थे। लोगों ने गोशाला के सभी पशुओं की गिनती करने की मांग भी की।

गोशाला मैनेजमेंट का पक्ष-निगम की 75% गायें बीमार

गोशाला मैनेजमेंट का पक्ष भी सामने आया है। सुपरवाइजर नागर ने बताया कि जीवदया गोशाला भोपाल की सबसे बड़ी गोशाला है। यहां नगर निगम की 70% गायें यही आती हैं। जो पॉलीथिन खाई हुई होती है। इस कारण 70-80% तक गायें या गोवंश कुछ दिन बाद मर जाते हैं।

इसके अलावा दुर्घटना में घायल गायें भी आती है। हालांकि, गायों की जांच के लिए डॉक्टर आते हैं, लेकिन वे इतनी गंभीर होती है कि इलाज के बाद भी ठीक नहीं हो पाती और मर जाती है। हम सेवा कर रहे हैं। यदि निगम को मना कर दें तो गायें बाहर ही तड़प-तड़पकर मर जाए। यदि विरोध होता है तो हम निगम की गायें लेना बंद कर देंगे। रही बात जांच की तो प्रशासन जांच करवा लें। हम सहयोग करें।

गोशाला में पहुंचे पेट लवर्स ने बीमार और असहाय गायों की देखभाल भी की।

कभी मॉडल रही गोशाला, आज बदनामी का दाग

भोपाल के भदभदा स्थित जीवदया गोशाला करीब 50 साल पुरानी है। करीब 30 एकड़ में यह गोशाला फैली हुई है। समय-समय पर गोशाला का रिनोवेशन होता रहा है। 2006 में गायों के लिए शेड का लोकार्पण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कर चुके हैं। ऐसे ही कई शेड बने हैं। जिनका समय-समय पर लोकार्पण होता रहा है। उप संचालक डॉ. रामटेके बताते हैं कि एक समय पर यह गोशाला मॉडल गोशाला के रूप में पहचानी जाती थी। हम खुद इस गोशाला का निरीक्षण करवाते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से गोशाला की व्यवस्थाएं बिगड़ गई है। वर्तमान में यह पर कई अव्यवस्थाएं हैं। इसकी जांच भी करवाई जा रही है।

हर रोज एक गोवंश के लिए 20 रुपए का अनुदान

गोशाला में ज्यादातर उन गायों की मौत हुईं, जो दूध नहीं दे रही थीं। दूध देने वाली गायें एक बाड़े में थी। यह स्थिति तब है, जब सरकार हर रोज एक गोवंश के लिए 20 रुपए का अनुदान दे रही है। इसमें दुधारू के लिए कोई अलग से प्रावधान नहीं है।

Loading

WhatsApp
Facebook
Twitter
LinkedIn
Email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Search