सरकारी कैंपस में बेरोकटोक पी रहे शराब कानून के नुमाइदे ही उड़ा रहे कानून की धज्जियां!
बैतूल। बैतूल शहर के पुलिस लाइन में बने इंडियन काफी हाउस के कर्मचारी के संरक्षण में हो रही शराब पार्टी। इस संबंध में जब बैतूल एसपी सिद्धार्थ चौधरी को फोन कर सूचना दी तो एसपी सिद्धार्थ चौधरी का कहना है कि अरे यार छोटी सी बात है, कहां आप मुझे कॉल कर रहे हो यहां मैं नहीं एसपी सिद्धार्थ चौधरी का कहना है! हम पाठकों को बता दे कि इंडियन कॉफी हाउस पुलिस लाइन कैंपस में पुलिस द्वारा दी गई जमीन बनाया गया है। यह सार्वजनिक स्थान है। जिनकी शर्तो में स्पष्ट है कि शराब जैसी कोई भी चीज पीना एवम पिलाना को प्रतिबंधित है। उसके बावजूद भी इंडियन काफी हाउस के कर्मचारी देर रात शराबियों को शराब पीने की अनुमति खुलेआम दे रहे हैं। विरोध करने पर पत्रकारों के साथ मारपीट करने को उतारू हो रहे है अब देखना होगा कि मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा दी गई जमीन पर इंडियन कॉफी हाउस पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी इंडियन काफी एवम उसके कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई करते हैं हमारे पास इसके रूप में वीडियो उपलब्ध है वैसे तो जिले के कप्तान कि बहुत बड़ी भूमिका रहती है जिसमें अपराधी गतिविधियों को रोका जाए लेकिन हमारे जिले के एसपी सिद्धार्थ चौधरी द्वारा ऐसी भूमिका निभाने में असमर्थ महसूस कर रहे है जिसमें बैतूल जिले वासी पूर्व एसपी सिमाला प्रसाद को याद कर रहे। जहां पर सिमाला का अपराधियों में खिलाफ खौफ रहता था तो अच्छे-अच्छे शहर के दिग्गज गुंडे बदमाश उनके नाम से खौफ खाते थे लेकिन बैतूल जिले के वर्तमान कप्तान एसपी सिद्धार्थ चौधरी के कार्य प्रणाली को लेकर ऐसा बिल्कुल भी प्रतीत नहीं होता है
कि कहीं ना कहीं गुंडे बदमाश उनके नाम से गुंडे खोफ खाते हों क्यू की जिस तरह एसपी सिद्धार्थ चौधरी की कार्य प्रणाली है उसको लेकर देखने में आ रहा है कि गुंडे बदमाश क्या अपने ही विभाग में सर का खौफ नहीं है क्योंकि जिस तरह से रविवार के दिन मध्य रात्रि सरकारी कैंपस में कुछ तथाकथित लोग शराब के जाम झलकते नजर आए वही खुलासा न्यूज के पत्रकार द्वारा जब उनका फोटो वीडियो किया गया तो जो तथागत पत्रकार जाम के पैग झलकते हुए नजर आ रहे थे वह कहते आप चाहे जिसको भी फोन लगा लो यहां मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता तो क्या जिले के कप्तान एवं बैतूल के राजनीतिक नेताओं का संरक्षण है उस व्यक्ति को जो इस तरह के सरकारी कैंपस में जो जाम झलकते नजर आ रहा है जब जिले के कप्तान को इस संबंध में कॉल किया गया था उनका कहना है कि आप छोटी-छोटी बातों पर कॉल ना कर करें क्या यह कर्तव्य नहीं बनता जिले के कप्तान का की सरकारी कैंपस में अगर कोई शराब के जाम झलक रहा हो तो उन पर कार्रवाई करें। जिस तरह जिले के कप्तान का कहना था उससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि शहर में शराब एवं अवैध गतिविधियों को खुलेआम संरक्षण दे रहे जिले के कप्तान यह हमारा नहीं जिले के कप्तान का कुछ कहना है!