आरटीआइ एक्टिविस्टों की सुरक्षा रहा मुख्य चर्चा का विषय, मप्र सूचना आयुक्त राहुल सिंह की अध्यक्षता में हुआ आयोजन, पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी एवं राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप रहे विशिष्ट अतिथि

दिनांक 18 अक्टूबर 2020 को सत्र की 17 वीं ज़ूम मीटिंग वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में आरटीआई कार्यकर्ताओं, समाजसेवियों, आवेदकों, अधिवक्ताओं सहित देश के विभिन्न हिस्सों - मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, आसाम, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, केरल, कर्नाटका आदि प्रदेशों से आरटीआई कार्यकर्ताओं और जिज्ञासुओं ने भाग लिया। इस राष्ट्रीय जूम मीटिंग वेबीनार की अध्यक्षता मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने किया जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी और पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने भाग लिया।
कार्यक्रम का संचालन, प्रबंधन एवं समन्वयन आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी के द्वारा किया गया जिसमें अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता नित्यानंद मिश्रा, शिवेंद्र मिश्रा, अंबुज पांडे, पत्रकारिता से मृगेंद्र सिंह देवेंद्र सिंह आदि लोगों का काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
मप्र के रीवा में आरटीआई एक्टिविस्ट पर हुआ जानलेवा हमला रहा मुख्य चर्चा का विषय
बीच इस बीच रविवार सुबह 11:00 बजे से प्रारंभ हुई जूम मीटिंग वेबीनार में शुरू से ही मुख्य चर्चा का केंद्र मध्य प्रदेश रीवा से आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी को लेकर रहा जिनके ऊपर 14 अक्टूबर दोपहर के समय मनगवां थाना क्षेत्र के चंदेह ग्राम पंचायत में सोशल ऑडिट और जन सुनवाई के दौरान चंदेह ग्राम पंचायत के सरपंच रमेश कुमार शर्मा उर्फ पप्पू एवं उसके साथियों घनश्याम सिंह पिता रामपाल सिंह निवासी मढ़ी कला एवं अन्य तीन के द्वारा लाठी, डंडे एवं तलवार से जान से मारने का प्रयास किया गया वह मुख्य चर्चा का विषय रहा।
कार्यक्रम में सम्मिलित लगभग सभी पार्टिसिपेंट्स ने एक्टिविस्ट पर हुए जानलेवा हमले को लेकर कड़ी भर्त्सना की और शासन प्रशासन से तत्काल कार्यवाही कर गुंडों, बदमाशों को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के बीच पहुंचाने की अपील की है। यदि शासन-प्रशासन दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं करता तो उसे लेकर एक्टिविस्ट, सामाजिक कार्यकर्ताओं, अधिवक्ताओं और पत्रकारों ने खुले आंदोलन की चेतावनी दी है।
आरटीआई एक्टिविस्ट पर हमले पर पुलिस प्रशासन करे कड़ी कार्यवाही – सूचना आयुक्त राहुल सिंह
एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी पर हमले को लेकर जब चर्चा का दौर जूम मीटिंग के दौरान गर्म हुआ और पार्टिसिपेंट्स ने इसके विषय में चर्चा करना प्रारंभ किया तो सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि इस विषय पर उनके द्वारा रीवा के एडिशनल एसपी शिव कुमार वर्मा से सीधे बात कर कार्यवाही करने के लिए कहा गया है एवं साथ ही केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी के द्वारा भी एसपी रीवा को कॉल कर कड़ी कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं। ज्ञातव्य हो की इसके पहले पुलिस ने पीड़ित से सामान्य हस्तलिखित आवेदन लेकर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया था जिसके बाद शिकायत होने पर मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त एवं पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त दोनों ने पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाया और कार्यवाही के लिए अपील की जिसके उपरांत तत्काल पुलिस के द्वारा एक्शन लिया जा कर रास्ता रोकने एवं मारपीट, गाली-गलौज, धमकी की सामान्य धाराओं 294, 323, 341, 506 एवं 34 भारतीय दंड संहिता के तहत प्रकरण क्रमांक 563/20 रीवा जिले के थाना मनगवां में दर्ज किया गया और मामले को विवेचना में लिया गया है। पर अभी भी दोषियों के विरुद्ध कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है जिसके चलते दबंग सरपंच गुंडागर्दी करते हुए ग्रामवासियों को धमका रहा है कि वह सोशल ऑडिट और जनसुनवाई का कार्यक्रम बंद कर दें।
आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा नितांत आवश्यक सरकार इस पर दें ध्यान – शैलेश गांधी
इस बीच मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने कहा कि आए दिन इस प्रकार की वारदातें होती रहती हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में आरटीआई कार्यकर्ताओं को टारगेट किया जाता है जिसकी वजह से आरटीआई कानून को जन-जन तक पहुंचाने में मदद करने वाले कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है इसी की वजह से कानून भी कमजोर पड़ता जा रहा है जिसके विषय में सरकार, शासन-प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है और हम मांग करते हैं कि विसलब्लोअर कानून की तरह एवं साथ में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की तरह आरटीआई एक्टिविस्ट प्रोटेक्शन एक्ट भी बने जिसमें आरटीआई कार्यकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान की जाए।
एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी के मामले में बात करते हुए पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्री गांधी ने कहा कि इस विषय में वह प्रयास करेंगे कि आईजी रीवा से बात करेंगे एवं मामले को गंभीरता से लेकर एक्टिविस्ट को सुरक्षा प्रदान की जाए एवं साथ में जान से मारने के प्रयास के तहत मामला दर्ज किया जाए।
आरटीआई एक्ट लागू होने के बाद 15 वर्षों में 83 आरटीआई एक्टिविस्टों की रजिस्टर्ड हत्या हुई सूचना – सूचना आयुक्त राहुल सिंह
इस बीच आरटीआई कार्यकर्ताओं एवं आरटीआई कानून को मजबूत करने के लिए कार्य करने वाले एक्टिविस्टों की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा करते हुए मध्य प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि वर्ष 2005 में यह कानून लाया गया और तब से आज वर्ष 2020 तक पूरे 15 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन इन 15 वर्षों में कानून को मजबूत करने के कोई विशेष प्रावधान नहीं किए गए जिसके कारण आरटीआई कार्यकर्ताओं का जीवन संकट बना हुआ है और अब तक रजिस्टर्ड तौर पर 83 आरटीआई कार्यकर्ता अपनी जान गवा बैठे हैं जबकि 200 से अधिक कार्यकर्ताओं के ऊपर विभिन्न प्रकार से नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया।
मध्यप्रदेश में आरटीआई की धारा 4 के तहत जानकारी सार्वजनिक करवाने किया जा रहा प्रयास - सूचना आयुक्त राहुल सिंह
इस बीच मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बताया की उनके द्वारा पदभार संभाले जाने के बाद कई ऐसे जनहित के मामले प्रकाश में आए हैं जिसमें जानकारियां आरटीआई की धारा 4 के तहत साझा किया जाना आवश्यक होती है। इसके तहत कई मामलों में जानकारियां वेबपोर्टल में साझा करने के दिशा-निर्देश संबंधित विभाग को निरंतर दिए जा रहे हैं। कराधान घोटाले के विषय में एवं साथ में मनरेगा लोकपाल के मामले से लेकर पीएचई विभाग के नलकूप उत्खनन तक के सभी मामलों में आयोग के द्वारा संबंधित विभाग को जानकारी सार्वजनिक वेबपोर्टल में साझा करने के दिशा निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
कानून को मजबूत करने और आरटीआई एक्टिविस्टों की सुरक्षा के लिए सूचना आयुक्त मामले पर ले स्वयं संज्ञान – आत्मदीप
इस बीच पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने कहा की सुओ-मोटो सभी सूचना आयुक्त आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए स्वयं भी संज्ञान ले सकते हैं और आआरटीआई कानून की धारा 19(8) के तहत प्रदत्त अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों और शासन प्रशासन को लिखकर आरटीआई एक्टिविस्टों की सुरक्षा के दिशा निर्देश जारी कर सकते हैं जिससे कानून की भी सुरक्षा हो और आरटीआई कानून के प्रति कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं की भी।
सहकारी समितियां सूचना के अधिकार कानून के दायरे मे - सूचना आयुक्त राहुल सिंह
बिहार से जूम मीटिंग वेबीनार में सम्मिलित जाफर इमाम के द्वारा प्रश्न किया गया कि उन्होंने सहकारी समितियों के विषय में आरटीआई आवेदन लगाकर कुछ जानकारियां सहकारिता विभाग से मांगी थी जिस पर उन्हें उपायुक्त सहकारिता के द्वारा पत्र प्राप्त हुआ था जिसमें कहा गया था कि सहकारी समितियां सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में नहीं आती हैं। इस बात को लेकर मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि सहकारी समितियां सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में आती है। क्योंकि कोर्ट का निर्देश भी है कि यदि 27 प्रतिशत अथवा उससे अधिक सरकारी राशि का आय-व्यय सहकारी समितियां करती हैं अथवा किसी 1 वर्ष में 50 हज़ार रुपये अथवा उससे अधिक का अनुदान उन्हें मिलता है या फिर सहकारी समिति के द्वारा यदि रिट पिटिशन किसी संबंधित न्यायालय में दायर की गई है तो उन स्थितियों में सभी सहकारी समितियां सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के दायरे में आती है। अपनी बात रखते हुए पूर्व राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सहकारी समितियों में करोड़ों का लेनदेन किया जाता है जो पूर्णतया सरकारी होते हैं इसके बाबजूद भी यदि समितियां यह कहती हैं कि वह सूचना के अधिकार के दायरे में नहीं आती है तो यह गलत है। निश्चित तौर पर धारा 2 के अंतर्गत वह लोक प्राधिकारी की श्रेणी में आती हैं और उन्हें जानकारियां देना चाहिए और यदि सूचना नही देतीं उस स्थिति में इसकी शिकायत और द्वितीय अपील सूचना आयोग में किया जाना आवश्यक है।
दिनांक 18 अक्टूबर 2020 को रविवार सुबह 11:00 बजे से 1:30 बजे तक आयोजित हुई ज़ूम मीटिंग वेबीनार में लगभग एक सैकड़ा आरटीआई कार्यकर्ताओं, अधिवक्ताओं एवं सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्तियों ने हिस्सा लिया।

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