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रीवा जिला अंतर्गत जनपद पंचायत गंगेव की ग्राम पंचायत बांस में पंचायत द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य में अनियमितता और भ्रष्टाचार की जांच के लिए सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी, देवेंद्र तिवारी एवं रविकांत अग्निहोत्री की शिकायत पर दिनांक 16 अक्टूबर 2020 को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा स्वप्निल वानखेड़े के आदेश पर 4 सदस्यीय टीम जिसमें ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री दिनेश अर्मो एवं तीन एसडीओ मनीषा मिश्रा जीतेंद्र अहिरवार एवं आरडी पांडे मौके पर जांच करने दोपहर 12:00 बजे पहुंचे जिसमें पीसीसी सड़क, निर्माण पुलिया निर्माण, ग्रेवल सड़क निर्माण, मेढ़ बंधान, मनरेगा के कार्य, पंच परमेश्वर योजना के कार्य, नलकूप निर्माण, टंकी निर्माण आदि योजनाओं के अंतर्गत किए गए कार्यों के दस्तावेज तलब किए गए और कार्यों का भौतिक निरीक्षण किया जाकर जांच चल रही है। सूत्रों की मानी तो लाखों के भ्रष्टाचार उजागर होने की संभावना है। बता दें कि गंगेव एसडीओ संतोष तिवारी के द्वारा इसके पूर्व भी बांस पंचायत की जांच की गई थी जिसमें लगभग 10 लाख रुपये की रिकवरी बनाई गई थी। क्योंकि जांच पूर्ण नहीं थी और कई बिंदुओं पर यही संतोष तिवारी द्वारा सही जांच नहीं की गई थी जिसको लेकर आवेदन कर्ताओं ने पुनः जिला पंचायत सीईओ स्वप्निल वानखेड़े के समक्ष शिकायत प्रस्तुत की है जिस पर जांच टीम गठित कर जांच की जा रही है।
इन इन निर्माण कार्यों की हुई जांच
कार्यपालन यंत्री दिनेश आर्मो एवं तीन एसडीओ की उपस्थिति में विभिन्न प्रकार के पंचायती निर्माण कार्यों में अनियमितता की जांच की गई जिसमें मुख्य रुप से पीसीसी सड़क निर्माण, नाली निर्माण, रपटा निर्माण, कल्वर्ट पुलिया निर्माण, शांति धाम, बाउंड्री वाल, खेल का मैदान, गौशाला, तालाब के पास पुलिया निर्माण , मनरेगा ग्रेवल सड़क, पीएम आवास आदि सम्मिलित है।
लगभग 50 लाख रुपये रिकवरी की है संभावना
जांच अधिकारियों के द्वारा बताया गया कि लगभग सभी कार्य गुणवत्ता विहीन पाए गए जिसमें राशि का बंदरबांट किया गया है। जहां तक सवाल पीसीसी सड़क निर्माण का था वह साल भर के भीतर ही उखड़ गई हैं एवं जो पुलिया वर्ष 2017 में बननी थी उनका निर्माण पंचायत कार्यकाल व्यतीत होने के बाद वर्ष 2020 में शिकायत के उपरांत किया गया है। अमवा आदिवासी बस्ती में पुलिया निर्माण की जांच करते हुए बताया गया कि बनने के 15 दिन के भीतर ही पुलिया दबकर टूट गई थी जिसके बाद पैच वर्क किया गया लेकिन गुणवत्ता सही नहीं पाई गई है। इस प्रकार यदि अधिकारियों की माने तो पूरे कार्य की लगभग 50 लाख रुपए की रिकवरी बनना तय है।


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