तम्बाकू नियंत्रण कानून का प्रभावी किय्रान्वयन-करें
जिला स्तरीय तम्बाकू नियंत्रण समिति की बैठक सम्पन्न
भारत सरकार द्वारा तम्बाकू आपदा से लोगो को बचाने के लिये भारत सरकार द्वारा तम्बाकू नियंत्रण कानून को कोटपा-2003 बनाया गया है।
कोटपा-2003 को प्रभावी रूप से क्रियान्वयन करने हेतु कलेक्टर नीरज कुमार सिंह की अध्यक्षता में जिला स्तरीय तम्बाकू नियंत्रण समिति की बैठक कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में सम्पन्न हुई। बैठक में विभाग को उनकी जिम्मेदारी से अवगत कराया गया और उन्हे तम्बाकू नियंत्रण और तम्बाकू नियंत्रण कानून के प्रभावी रूप से क्रियान्वयन के लिए क्या करने की जरूरत है के बारे में बताया गया। बैठक में कलेक्टर श्री सिंह ने आवष्यक दिषा निर्देष दिये।
बैठक में नोड़ल अधिकारी डॉ. सुरेन्द्र मित्तल ने बताया कि तम्बाकू नियंत्रण के लिए विभिन्न विभागों का समन्वय अत्यंत आवष्यक है। इसके लिए जरूरी है कि जिला स्तरीय तम्बाकू नियंत्रण समिति की त्रैमासिक अंतराल पर नियमित बैठक आयोजित कर तम्बाकू नियंत्रण कानून का परिपालन सुनिष्चित किया जाए। अवयस्को को तम्बाकू उत्पाद बेचने पर कड़ी कार्यवाही की जाए। तम्बाकू उत्पादों के विज्ञापन प्रायोजन आदि पर कार्यवाही की जाए और समस्त तम्बाकू उत्पादों के विज्ञापन पूरी तरह से हटाए जाए।
शैक्षणिक संस्थानों के 300 फिट के दायरे में तम्बाकू उत्पादो की दुकान हटाई जाए एवं शैक्षणिक संस्थानों के 300 फिट के दायरे में पीली रेखा बनाकर चिन्हित किया जाए। तम्बाकू उत्पाद की दुकानों पर धारा 6 अ के अंतर्गत निर्धारित सूचना पटल अनिवार्य रूप से लगाए जाए। शैक्षणिक संस्थान के मुख्य द्वार पर तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान इस शैक्षणिक संस्थान के 100 गज 300 फिट के दायरे में किसी भी प्रकार के तम्बाकू उत्पाद बेचना अपराध है एवं उल्लघंन करने वालों पर 200 रूपये तक का जुर्माना हो सकता है, का बोर्ड लगवाया जाए।
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कानून के अंतर्गत विभिन्न विभागों का समन्वय किया जाए। प्रतिमाह आयोजित होने वाली पुलिस विभाग की क्राईम रिव्यू मीटिंग में तम्बाकू नियंत्रण कानून के परिपालन की समीक्षा नियमित रूप से की जाए। पंचायत सचिवों के माध्यम से पंचायत के अंतर्गत आने वाले सभी गांव में तम्बाकू नियंत्रण कानून का पूर्ण रूप से परिपालन करवाया जाए। भारत में 12 से 13 लाख लोगो की मौत का कारण तम्बाकू से होने वाली बीमारिया है।
वैष्विक वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण 2016-17 गेंटस 2 के अनुसार भारत में 39 प्रतिषत और मध्यप्रदेष में 34 प्रतिषत वयस्क तम्बाकू का प्रयोग करते है। भारत में 16 प्रतिषत और मध्यप्रदेष में 10 प्रतिषत वयस्क धुम्रपान करते है और भारत में 31 प्रतिषत और मध्यप्रदेष में 28 प्रतिषत वयस्क धुम्ररहित तम्बाकू का सेवन करते है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009-10 में 40 प्रतिषत लोग सार्वजनिक स्थानों पर परोक्ष धुम्रपान का षिकार होते थे, वही अब यह 2016-17 में घटकर 24 प्रतिषत हो गए है। इसका मुख्य कारण है कि विगत कई वर्षो में प्रवेष में सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान को रोकने के लिए सतत निगरानी जागरूकता और दंड किया गया है, जिससे लोगों में परिवर्तन आया है।
इस कानून की धारा 4 के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान प्रतिबंधित है और अगर कोई सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान करता है तो उसे 200 रूपये तक का जुर्माना किया जा सकता है। धारा 5 के अनुसार किसी भी तम्बाकू उत्पाद का विज्ञापन या प्रायोजन प्रतिबंधित है, धारा 6 अ के अनुसार नाबालिगों को के द्वारा तम्बाकू उत्पाद बेचना प्रतिबंधित है, धारा 6 बी अनुसार शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज 300 फिट के दायरे में तम्बाकू उत्पाद बेचना प्रतिबंधित है, धारा 7 के अनुसार तम्बाकू उत्पादों के 85 प्रतिषत हिस्से पर चित्रात्मक स्वास्थ्य चेतावनियां अनिवार्य है।
बैठक में समिति सदस्यों सहित स्वास्थ्य विभाग से सी.एम.ओ., सी.एस., नोड़ल अधिकारी सहित स्वास्थ्य विभाग के संबंधित अमला और मध्यप्रदेष वालन्ट्री हेल्थ ऐसोसिऐषन के बकुल शर्मा एवं मनीष सक्सेना उपस्थित थे।
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