समीर अधिकारी के क्लिनिक पर स्वास्थ्य टीम की दबिश,क्लिनिक मे लगा ताला
कर्मचारी चला रहे थे क्लिनिक बीएमओ ने बनाया पंचनामा
अंग्रेजी दवाई हुई जप्त क्लिनिक का स्वास्थ्य कार्यालय में नही है पंजीबद्ध
संदीप तिवारी:- उमरिया/ जिले के नौरोजाबाद स्थित 5 नंबर कालोनी में क्लिनिक खोलकर मरीजों का चिकित्सकीय उपचार कर रहे कर्मचारियों के द्वारा क्लीनिक संचालक समीर अधिकारी के क्लिनिक पर स्वास्थ्य प्रबन्धन ने रेड छापामार कार्यवाही की है,इस दौरान बीएमओ करकेली वीएस चंदेल की अगुवाई में गठित टीम ने क्लिनिक के अंदर मौजूद अंग्रेजी मेडिसिन को जप्त किया है नौरोजाबाद स्थित 5 नम्बर कालोनी में मौजूद क्लिनिक को में ताला लगा दिया गया है और स्वास्थ्य विभाग अपने साथ उस ताले की चाबी ले गए है।बताया जाता है कि रेड के दौरान चिकित्सक समीर अधिकारी अपने क्लिनिक में मौजूद नही थे,इस दौरान क्लिनिक खुली थी,जिससे आशंका व्यक्त की जा रही है कि चिकित्सक की उपलब्धता न होने के बाद भी मौजूद कर्मचारी मरीजों का उपचार कर रहे थे,जो गम्भीर मामला है।स्वास्थ्य सेवाओं में इतनी बड़ी चूक शर्मनाक के साथ जिम्मेदार स्वास्थ्य अधिकारियों पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है।बताया यह भी जाता है कि उक्त क्लिनिक जिला स्वास्थ्य कार्यालय में पंजीबद्ध भी नही है,अगर ऐसा है तो बीते क़ई वर्षों से संचालित इस क्लिनिक के संचालन को हरी झंडी कौन दे रहा था और किसके संरक्षण में यह क्लीनिक संचालित हो रही है यह भी बड़ा सवाल है।उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी उक्त क्लीनिक दूसरे मामलों में दो बार सील की जा चुकी है।
शिकायत के बाद ही क्यों होती है कार्रवाई उठ रहा प्रश्न
नौरोजाबाद तहसील अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग की सबसे बड़ी लापरवाही सामने आ रही है नियम को ताक पर रखकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों को बढ़ावा देने का काम नौरोजाबाद मे हो रहा था एवं अंग्रेजी दवाइयां झोलाछाप डॉक्टरों क्यो कर रहे है साथ मे बड़ी से बड़ी बीमारियों का इलाज करने की अनुमति मौखिक रूप से झोलाछाप को स्वास्थ्य विभाग ने इजाजत दे दी हो एवं जब उसकी शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 181 में किया जाता है तो स्वास्थ विभाग कारवाही करने के नाम से पल्ला झाड़ते हुए नजर आता है स्वास्थ विभाग के जिम्मेदार अधिकारी गोलमोल जवाब देते हुए नजर आते हैं कुल मिलाकर यह समझ में आता है कि स्वास्थ विभाग का झोलाछाप डॉक्टरों से कुछ ज्यादा ही धनिष्ठा हो गई है जिससे वह कार्यवाही करने से बचते हुए नजर आते थे सीएचएमओ डॉक्टर आरके मेहरा ने भी कार्यवाही की क्लीनिक में छापामार कार्यवाही हुई और साथ में अंग्रेजी दवाई भी बरामद की गई और उसके बाद उन्हें नोटिस साथ में समीर अधिकारी को नोटिस भी दिया गया और न्यायालय में परिवारवाद भी प्रस्तुत किया गया जो कि न्यायालय में विचाराधीन है उसके बावजूद समीर अधिकारी की क्लीनिक किस आधार पर संचालित हो रही थी उसकी क्लीनिक क्यों खुली हुई थी क्लीनिक को सील क्यों नहीं किया गया यह प्रश्न स्वास्थ विभाग पर उठता है
क्या किसी की मौत का इंतजार कर रहा स्वास्थ विभाग
स्वास्थ विभाग से दिया गया जवाब 13 मार्च बीएमओ शिकायत की जांच करें एवं निराकरण करें संतुष्टि पूर्वक कार्यवाही को बंद करवाएं दूसरा जवाब 20 मार्च कार्यालय पत्र क्रमांक 250/ 2023 दिनांक 25/01/ 2023 के अनुसार नोटिस दी गई इस संबंध में नोटिस का जवाब आया है जिसमें अपनी प्रसिद्धि से इलाज किए जाने का अनुरोध किया गया है तक संबंध में झोलाछाप प्रैक्टिस कर रहे हैं लोगों खिलाफ परिवारवाद की कारवाही रक्त है ना तो कार्यालय पत्र में कोई ठोस कार्यवाही के लिए जिक्र किया गया ना हीं सीएम हेल्पलाइन में कोई उचित जानकारी दी गई क्या स्वास्थ्य विभाग गहरी निंद्रा में सो रहा है या तो किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहा है यह तो समझ से परे है मध्य प्रदेश के कई जिलों में ऐसे झोलाछाप क्लीनिक को सील करने का काम जिला प्रशासन द्वारा लगातार किया जा रहा है कहीं ना कहीं देखा जा रहा है कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के चलते कई लोगों की मौत सामने नजर आ रही है उसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग अपने कार्यवाही से भागता हुए नजर आ रहा है जब जिले के मुखिया आदेश करते हैं तो स्वास्थ विभाग कार्यवाही करने पहुंचता है
आखिर क्यों करते हैं झोलाछाप अंग्रेजी दवाई
झोलाछाप डॉक्टर समीर अधिकारी के क्लीनिक में सीएचएमओ डॉ आर.के.मेहरा के द्वारा अपनी टीम के पूर्व में छापामार की बड़ी कार्यवाही की गई थी इस कार्यवाही पर समीर अधिकारी की क्लीनिक से कई अंग्रेजी दवाई भी बरामद किया गया है जिसे सीएचएमओ ने जप्त किया था और साथ में नोटिस भी दिया गया था सीएचएमओ आरके मेहरा के दौरान बताया गया कि हमारे द्वारा लगातार ऐसे फर्जी क्लीनिक और डॉक्टरों के ऊपर कार्यवाही की जा रही है धीरे-धीरे पूरे जिले में ऐसे फर्जी चल रहे क्लीनिक और चला रहे डॉक्टरों के ऊपर कार्यवाही के साथ-साथ क्लीनिक को बंद किया जाएगा सीएचएमओ ने नौरोजाबाद पांच नंबर कॉलोनी में झोलाछाप डॉक्टर बंगाली के क्लीनिक में अंग्रेजी दवाइयों मिल है वह कार्यवाही नोटिस के बाद भी क्लीनिक धड़ल्ले से चल रही थी इनकी फर्जी क्लीनिक पूर्व में भी बंद किया गया था एसडीएम ने छापामार कार्यवाही की थी और बंगाली दवा खाने को सील किया गया था लेकिन कुछ राजनैतिक संरक्षण प्राप्त होने के कारण दबाव बनाकर फिर से क्लीनिक संचालित होने लगी आखिर कब ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों की दुकान हमेशा के लिए बंद होगी कई वर्षों से इनके द्वारा फर्जी तरीके से इलाज के नाम से भोली भाली जनता को लूट के कई लाखों रुपए की संपत्ति जुड़े हुए हैं आखिर कब तब बंगाली दवाखाने में पूर्णता प्रतिबंध लगेगा साथ मामला पंजीबद्ध होगा अब देखना यही है स्वास्थ विभाग की टीम के द्वारा की गई कार्यवाही मैं आगे क्या होता है
पूर्व में कई बार हो चुकी है एस.के.अधिकारी की क्लीनिक सील
नौरोजाबाद में एस.के.अधिकारी बंगाली की क्लीनिक में कई बार छापे मार कार्यवाही हों चुकी है साथ-साथ भारी मात्रा में अंग्रेजी दवाई भी बरामद की जा चुकी है और साथ साथ उनकी दुकान को भी सील करने की भी कार्यवाही कि गई है प्रशासनिक विभाग के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग में भी कई कार्यवाही इनके क्लीनिक में कर चुकी है लेकिन कुछ दिनों के बाद इनकी क्लीनिक खोल दी जाती है फिर यह अपने मन मुताबिक क्लीनिक चलाने लगते हैं आखिर किसके सह में यह क्लीनिक संचालित हो रही है आम जनों की सुविधा बता कर और कम पैसे बताकर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और जिम्मेदार इससे पल्ला झाड़ते हुए नजर आते थे
क्लीनिक में नौकर भी बन जाते है डॉक्टर झोलाछाप के ना रहने पर
एक तरह डॉक्टर को भगवान का दर्ज़ा दिया जाता है लोग अपने बिमारी को ठीक करने के लिए जाते है लोग अपनी छोटी और बड़ी बीमारियों को ठीक करने के लिए झोलाछाप के पास जाता है कि हम कम पैसे में अपना इलाज करवा कर ठीक हो जाएंगे लेकिन उनको पता ही नहीं रहता कि वह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है और उस बीमारी को ठीक करने के चक्कर में और अन्य बीमारी शरीर के अंदर प्रवेश करती जा रही है सोच समझ के करवाए इलाज जा सकती है आपकी जान सुनकर आप हैरान हो जाएंगे जब झोलाछाप डॉक्टर अपने दुकान में नहीं रहत है और कहीं बाहर चले जाते है तो उनकी क्लीनिक और कोई नहीं उनके क्लीनिक में उपस्थित नौकर ही चलाते हैं और जब बीमारी समझ में नहीं आता है तो फोन में झोलाछाप डॉक्टर से सलाह लेकर और दवाई गोली नौकर के द्वारा दिया जाता है आखिर इतने बड़ी लापरवाही जिम्मेदारों को नहीं दिख रहा है क्यो कुछ पैसों के चाहे पर लोगों की जान जोखिम में डाली जा रहा है जब एक झोलाछाप अपने क्लीनिक में उपस्थित नहीं है तो उसकी क्लीनिक नौकर चलाता रहे है जब इसकी शिकायत जिला कलेक्टर उमरिया एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को किया गया तो मुखिया के आदेश में समीर अधिकारी के क्लीनिक में छापामार कार्रवाई की गई जिस पर ताला लटका के चले गए अगर शिकायत ना होती तो कर्मचारियों के द्वारा बराबर क्लीनिक में इलाज किया जा रहा था और कर्मचारी ही सुई लगते है और दवाई भी देते हैं आखिर जिम्मेदारों द्वारा क्यो इसके पूर्व में बड़ी कार्यवाही नही किए और हा इलाज करने पर मरीज की हालत नहीं बिगड़ती हालत तो छोड़िए मरीज मरने तक की नौबत में आ जाता है ऐसी स्थिति में डॉक्टर के द्वारा बड़ी हॉस्पिटल में भेज दिया जाता है जहां पर उसका इलाज होता है और वह सही हो जाता है जहां से इस झोलाछाप को अच्छी खासी कमीशन मिलता है
आठवीं फेल भी बने आरएमपी
मजे की बात तो यह है कि कुछ ऐसे ही झोलाछाप है जो आठवीं 10वीं या 12वीं फेल है फिर भी यह झोलाछाप डॉक्टर अपने नाम के आगे आरएमपी लिखते हैं मुख्यालय में बैठे अधिकारियों की सांठगांठ के चलते बेखौफ फर्जी दुकाने चल रही है ऐसे में लोग को खुद ही सावधान रहना होगा कल्पना की जा सकती है कि जब इंसान की सहज ऐसे नहीं हकीमो के सेहत ऐसे नीम हकीमो के हाथों में हो तो उसका क्या हाल होगा यह झोलाछाप डॉक्टर अनाधिकृत रूप से बिना किसी मान्य डिग्री के ग्रामीण अंचलों में अपनी डिस्पेंसरी या क्लीनिक चला रहे हैं जब कोई केस बिगड़ जाता है तो उसे उन्हीं झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा शहर के किसी निजी अस्पताल में छोड़ आते हैं जहां उन्हें मोटी कमीशन का खेल जोरों से चल रहा है
एमबीबीएस की डिग्री मैं पैसे बर्बाद ना करे छात्र
क्षेत्रीय लोगों के द्वारा बताया गया है कि कई वर्षों से संचालित है अवैध क्लीनिक पर गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज झोलाछाप डॉक्टर के द्वारा किया जा रहा था तो छात्र क्यों एमबीबीएस की डिग्री मैं पैसे क्यों बर्बाद करे सीधे घर में या दुकान में बैठ के इलाज करना चालू कर दे जैसे य़े झोलाछाप करता है और मामला बिगड़ जाने पर शहर के बड़े डॉक्टर के यहां कमीशन पर भेज देता जा है आदिवासी इलाके में डॉक्टरों की कमी का लाभ उठाते हुए झोलाछाप डॉक्टर सुनियोजित तरीके से मिलीभगत करके लाभ का धंधा बना रखे हैं जिसमें जिम्मेदार नजरअंदाज करते हुए मोटी रकम ले रहे हैं
बंगाल का जादू सीखकर खोल ले क्लीनिक
नौरोजाबाद नगर में जब झोलाछाप चिकित्सक बंगाल के जादू इतना चल रहा है तो मेडिकल जैसे हॉस्पिटल में ताला लटका देना चाहिए जब आम लोगों की कई बड़ी से छोटी बीमारियों इसका इलाज यह झोलाछाप कर सकते है और ठीक कर सकते है तो जो बड़े-बड़े हॉस्पिटलों में और सरकारी डॉक्टर नहीं कर पाते ऐसे इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करते रहते हैं तो सरकारी डॉक्टरों की क्या जरूरत लाखों रुपए खर्च करके और पेमेंट देकर सरकार उन्हें बैठा कर रखी है जब या झोलाछाप ही सब कुछ कर लेंगे तो सरकारी हॉस्पिटल डॉक्टरों की क्या जरूरत जब यह फर्जी डॉक्टर के द्वारा इलाज करते हुए मामला बिगड़ जाता है तो यह झोलाछाप बंगाली बड़ी हॉस्पिटल की तरफ मरीजों का रुख मोड़ देते हैं अगर ऐसे झोलाछाप डॉक्टर आम लोगों का इलाज कर सकते हैं तो देश और प्रदेश में स्थित शहडोल जैसे शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों को शायद बंद करने का समय आ गया है शासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए कि जब बंगाल के जादू से आम लोगों का इलाज किया जा सकता है तो अरबों रुपये खर्च कर भवन बनवाने और उस पर हर महीने करोड़ों रुपए खर्च करने की आवश्यकता ही क्या है शहडोल मेडिकल कॉलेज सहित पूरे देश के चिकित्सा महाविद्यालयों में अध्ययन कर रहे छात्रों को भी इस मामले से सबक लेना चाहिए और एमबीबीएस की डिग्री मैं पैसे बर्बाद ना कर ऐसे झोलाछाप समीर अधिकारी की तरह बंगाल का जादू सीख कर कहीं पर क्लीनिक खोलकर संचारित कर लेना चाहिए इस बार जिले के मुखिया के द्वारा करवाई गई और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा की गई कार्यवाही में ऐसे ही झोलाछाप डॉक्टर की दुकान हमेशा के लिए बंद कर देनी चाहिए जिससे कि आम लोगों की जान के साथ खिलवाड़ ना हो सके और भविष्य में कोई बड़ा मामला ना हो जिससे कि स्वास्थ विभाग पर उंगली उठाया जा सके