Sunday, 21 May, 2023

शहर मे बढते अपराध की वजह से पुलिस की छवि हो रही धुमिल


शहर मे बढते अपराध की वजह से पुलिस की छवि हो रही धुमिल

बैतूल।लोकतांत्रिक प्रशासन में विधि द्वारा स्थापित भारतीय संविधान को लागू करना व समाज में अपराध को रोकना एवं कानून-व्यवस्था बनाए रखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पुलिस व सुरक्षा बलों पर होती है, लेकिन इन जिम्मेदारियों को अक्सर दर किनार करते हुए पुलिसकर्मी अपनी कर्तव्य विमुखता एवं अमानवीय कृत्यों से समूचे पुलिस तंत्र पर बदनुमा दाग लगा रहे हैं। कानून एवं राज्य व्यवस्था का सफल संचालन तभी संभव है, जब पुलिस महकमे का हर शख्स अपने कर्तव्यों तथा अधिकारों को भली-भांति समझकर उनका उचित ढंग से निर्वहन करे, लेकिन वर्तमान समय में पुलिस अधिकारी हो किसी थाने का सिपाही क्यों ना हो अपराधियों से रिश्ते निभाने की वजह से अपराधियों के साथ पुलिस की सांठगांठ और निर्दोष लोगों को अकारण प्रताड़ित करने की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण आम जनमानस में पुलिस की छवि में निरंतर गिरावट आ रही है। पुलिस राजनीतिक दबाव में सत्ताधीशों और क्षेत्र के दबंग प्रवृत्ति के लोगों के अभिकर्ता के रूप में काम करती दिखाई पड़ती है। परिणामस्वरूप पुलिस की कार्रवाइयों में निष्पक्षता एवं तटस्थता हाशिए पर चली जाती है। इसे न तो सुधारने की कोशिशें की गई और न ही ढांचागत बदलाव लाने की दिशा में कोई पहल ही की गई। फलस्वरूप बैतूल की पुलिस के चेहरे एवं चरित्र में कोई बदलाव नहीं आया और सत्ता के इशारों पर नाचना उसकी फितरत बन गई है। बैतूल, पुलिस की बदसुलूकी एवं अमानवीय व्यवहार की शिकायतें दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही हैं। इन्हीें सब कारणों से जहां बैतूल पुलिस में सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है। वहीं बैतूल पुलिस की भूमिका को पुनर्परिभाषित किए जाने की मांग भी की जा रही है। पुलिस प्रशासन में भ्रष्टाचार की जड़ें भी बहुत गहरी हैं। रिश्वतखोरी का जबरदस्त बोलबाला है। पूरा पुलिस तंत्र भ्रष्टाचार से पूरी तरह आच्छादित है। बैतूल शहर में बढ़ रही अपराधिक गतिविधियां पुलिस अधिकारी अपने ही जेब भरने में मगरूर आखिर पुलिस क्यों नहीं कर पा रही है किसी भी अपराधी के खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई सूत्रों की माने तो पुलिस चाहे तो 1 दिन में जितने भी शहर में अपराधिक गतिविधियां हो रही है उस पर लगाम लगा सकती लेकिन बैतूल पुलिस ऐसा करने में असफल नजर आ रही है। वही नाम ना छापने की शर्त पर जागृत युवा ने कहा की बैतूल में जिस प्रकार से घटनाएं हो रही है पब्लिक प्लेस में गोलियां चला दे रहे हैं चोरी मारपीट जैसे मामले आए दिन का हो रहा है जिस से बैतूल की पुलिस तंत्र को शर्मसार करने वाली उपरोक्त घटनाओं से स्पष्ट है कि पुलिस की ज्यादतियां किसी एक क्षेत्र तक सीमित न रहकर देशव्यापी बन चुकी हैं। कानून के रखवाले पुलिस कर्मियों का इस प्रकार का आचरण समस्त पुलिस तंत्र की छवि धूमिल कर रहा है। बैतूल पुलिस व्यवस्था को आज नई दिशा, नई सोच और नए आयाम की आवश्यकता है। समय के अनुसार मांग की जा रही है कि बैतूल की पुलिस आम नागरिकों के प्रति की जाने वाली शोषणकारी और भ्रष्टाचारी नीति में बदलाव होने चाहिए। नागरिक स्वतंत्रता और मानव अधिकारों के प्रति बैतूल पुलिस जागरूक होकर पारदर्शिता के साथ समाज के प्रति संवेदनशील और जवाबदेह बने, अपराधियों से भाई जैसे रिश्ते ना निभाए अगर किसी पत्रकार ने पुलिस विभाग के खिलाफ खबरें चलाई है तो उसमे आजकल नया अधिकारी पत्रकार के नंबर को ही ब्लैक लिस्ट कर देते हैं ताकि उनके वर्जन ना ले सके तो यह भी बैतूल जिले पुलिस की मानसिकता को दर्शाता है कि किस तरह सोच रखते हैं बैतूल पुलिस के अधिकारी अगर इन सब में सुधार हो जाए तो बैतूल पुलिस की छवि निखर सकती है।अब बैतूल की जनता को नए एसपी सिद्धार्थ चौधरी बहुत आसान है की बैतूल मे अपराधिक गतिविधियां बंंद हो व पुलिस महक में भी सुधार बैतूल की जनता को नजर आएगा

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