राजनीति का शिकार बनी करकेली विकासखंड की दम तोड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था 

राजनीति का शिकार बनी करकेली विकासखंड की दम तोड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था

उमरिया:- संदीप तिवारी /मध्य प्रदेश में भले ही डॉक्टर मोहन यादव की सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर के जुटी हुई है.लेकिन निचले स्तर की अधिकारी राज्य सरकार की सकारात्मक सोच पर पलीता लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं.बात अगर उमरिया जिले के स्वास्थ्य केन्द्रों की करें तो पूरे जिले भर में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर के जिस तरीके से जिले के कलेक्टर धर्नेंद्र कुमार जैन के द्वारा लगातार स्वास्थ्य विभाग को हिदायत दी जाती है कि अमला मैदानी स्तर पर जाकर के काम करें और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टर नियमित रूप से उपलब्ध हो.लेकिन कलेक्टर की आदेशों के विपरीत उमरिया जिले की तस्वीर कुछ और ही है.

डॉक्टर वीएस चंदेल के पास में करकेली विकासखंड के खण्ड चिकित्सा अधिकारी के दायित्व के साथ साथ जिला मलेरिया अधिकारी का प्रभार भी दिया गया है. जबकि जिला चिकित्सालय में इन दिनों डॉक्टर की पर्याप्त संख्या है .एक ही डॉक्टर को दो-दो प्रभार देने के कारण डॉ चंदेल की करकेली विकासखंड के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं.लेकिन डॉक्टर साहब की राजनीतिक पकड़ ऐसी की मजाल है कोई उनसे कोई भी प्रभार लेकर के किसी जिम्मेदार डॉक्टर को दे दे. सप्ताह में 2 दिन का समय जिला चिकित्सालय में ओपीडी में बैठने के लिए डॉक्टर चंदेल के लिए नियत किया गया है लेकिन डॉक्टर साहब अपनी मनमर्जी से जब चाहे तब जिला चिकित्सालय में नजर आते हैं. यही कारण है कि करकेली विकासखंड के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में पदस्थ डॉक्टर भी डॉक्टर चंदेल की राह पर चलते हुए जिला मुख्यालय में ही डटे रहते हैं.बात अगर करकेली स्वास्थ्य केंद्र की की जाए तो यहां इलाज के नाम पर सिर्फ जिला चिकित्सालय में रेफर करने का काम किया जाता है.

ऐसा नहीं है कि यहां डॉक्टर की पदस्थापना इन स्वास्थ्य नहीं की गई है. करकेली में डॉक्टर सैफ मोहम्मद और डॉक्टर सुमित कुशवाहा के साथ-साथ डॉक्टर दीपक द्विवेदी को तैनात किया गया है. लेकिन स्थानीय नागरिक वेद प्रकास उपाध्याय बताते हैं कि यह डॉक्टर अधिकतर समय जिला मुख्यालय में ही बिताते हैं. अगर कभी आए भी तो सुबह 11 बजे आने के बाद सिर्फ कुछ एक घंटे रुकने के बाद जिला मुख्यालय रवाना हो जाते है.आपको बता दें कि अगर रात में कोई कैजुअल्टी का मामला आ गया तब तो आम आदमी को जान से भी हाथ धोना पड़ जाता है.इसके साथ ही जानकारी यह भी निकाल करके सामने आ रही है कि करकेली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अधिकतर समय सिर्फ नर्सिंग और वार्ड बॉय के भरोसे ही स्वास्थ्य केंद्र का संचालित रहता है.

वहीं अगर चंदिया की बात कर ली जाए तो चंदिया में भी डॉक्टर छवि सिंह बीते कई वर्षों से पदस्थ हैं.लेकिन चंदिया स्वास्थ्य केंद्र का हाल यह है कि यहां के जो अधिकतर रेफर कैसे चंदिया से जिला चिकित्सालय आते हैं उनमें वार्ड बॉय और टेक्नीशियन के हस्ताक्षर होते हैं.जिले की चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था की ओर आगर जिले के संवेदनशील कलेक्टर ध्यान देंगे तो उन्हें खुद भी तमाम समस्या यथावत नजर आएगी.

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