इंदौर में यूनिवर्सल सॉलीडेटरी मूवमेंट के फाउंडर फादर वर्गीस आलेंगाडन का 71 वर्ष की आयु में रविवार को निधन हो गया। वे करीब एक माह से बीमार थे। मंगलवार को उनका अंतिम संस्कार रामबाग मुक्तिधाम के विद्युत शव दाह गृह में हुआ। शहर में संभवत: यह पहला मौका है जब ईसाई समाज के फादर का इस तरीके से अंतिम संस्कार हुआ। दरअसल फादर की इच्छा थी कि मेरी मृत्यु के बाद क्यों छह फीट जमीन पर कब्जा करके रखना चाहिए। उनका मानना था कि धरती का आदर करना और उसके संसाधनों की सुरक्षा करना मनुष्य का कर्तव्य है। यही सोच उनकी लकड़ी को लेकर रही। जिसके चलते दाह संस्कार भी न करते हुए मंगलवार शाम 5 बजे विद्युत शव दाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया गया जिसमें कई धर्म के लोग शामिल हुए।
समाज जन के मुताबिक 4 मार्च को उनकी बाइपास सर्जरी हुई थी। उसके 15 दिन बाद उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी व फेफड़ों में काफी इन्फेक्शन था। रविवार को रॉबर्ट हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली। चूंकि वे सर्वधर्म से जुड़े थे, इसलिए उनके अंतिम संस्कार में अन्य शहरों से भी लोग आ रहे हैं। वे 30 साल तक इंदौर के यूनिवर्सल सॉलीडेटरी मूवमेंट में फादर रहे। इसके लिए वे गृहस्थ जीवन त्याग चुके थे। सोमवार रात त्रिशूर (केरल) से उनके बड़े भाई जानी अलेंगाडन का परिवार इंदौर पहुंच गया चाहिए
सर्वधर्म सद्भावना में विश्वास रखते थे
फादर जैकब ने बताया कि वे गांधीवादी विचारों के थे। उनके पास कोई संपत्ति, जमीन, मकान, बैंक अकाउंट नहीं था। वे अपने लिए कोई भी चीज यहां तक कि मृत्यु के बाद छह फीट जमीन भी अपने लिए नहीं रखना चाहते थे। यही कारण है कि वे मृत्यु के बाद खुद को दफनाने के पक्षधर नहीं थे। दूसरे धर्म के लोग उनका आदर भी करते थे। उनका हमेशा यही मानना रहा कि दूसरे धर्म में जो अच्छी बातें या प्रथाएं हैं, वे हमें मानना चाहिए
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