मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों में अब बिजली की बचत के लिए अमेरिका की इलेक्ट्रिक डिपर टेक्नोलॉजी को अपनाया जाएगा। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने निकायों पर लगातार बढ़ते बिजली बिल के बोझ को लेकर इस तकनीक को अपनाने का निर्णय लिया है। इस तकनीक का उपयोग स्ट्रीट लाइट मैनेजमेंट के लिए किया जाता है। अफसरों ने बताया कि जल्द ही इस तकनीक को अपनाने नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषदों को गाइडलाइन जारी की जाएगी। टेक्नोलॉजी से सालाना करीब 800 करोड़ रुपये की बजट होगी।
दरअसल, महंगी बिजली की मार से सिर्फ आम आदमी ही नहीं त्रस्त नहीं बल्कि सरकारी विभाग भी प्रभावित हो रहे हैं। इसमें शहरों की देखरेख करने वाले नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद का मुख्यालय नगरीय विकास एवं आवास विभाग भी शामिल है। यदि सिर्फ प्रदेश के 16 नगर निगमों की बात की जाए तो औसतन 430 करोड़ रुपये सालाना बिजली बिल का भुगतान किया जाता है। अधिकारियों का दावा है कि इस तकनीक के अपनाने के बाद निकायों पर बिजली बिल का भार कम से कम 40 प्रतिशत तक काम होगा। बता दें कि बिजली बिल नहीं चुकाने के कारण कई बार निकायों के दफ्तरों की बिजली काटने के मामले भी सामने आ चुके हैं।
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