भोपाल के ग्राउंड वाटर में नाइट्रेट की मात्रा तय पैमाने से ज्यादा पाई गई है। ये खुलासा सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड(सीजीडब्ल्यूबी) की रिपोर्ट में हुआ है। नाइट्रेट की बढ़ी मात्रा से जिले के कई हिस्से प्रभावित हैं, लेकिन जहां इसकी मात्रा अधिक है, वहां पेट संबंधी बीमारियों की समस्याएं अधिक हो रही हैं।
1 लीटर में 45 एमजी से अधिक नाइट्रेट मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। खासकर छोटे बच्चों में यह ब्लू बेबी सिंड्रोम का कारण होती है। इसमें बच्चों की त्चचा का रंग नीला पड़ जाता है। सीजीडब्ल्यूबी के रीजनल डायरेक्टर अशाेक कुमार बिसवाल ने बताया कि शहर के कई इलाकों में नाइट्रेट की मात्रा खतरनाक स्तर पर है। इसका स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ता है।
- टायफाइड, डिसेंट्री के अलावा पथरी संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं
- लिवर, स्किन से जुड़ी समस्याएं भी होती हैं नाइट्रेट की अधिकता से
- ब्लू बेबी सिंड्रोम में बच्चों की त्चचा का रंग नीला पड़ जाता है
कहां- कितना नाइट्रेट
बरखेड़ा पठानी – 41एमजी सरवर – 45 एमजी जगदीशपुर – 70 एमजी बालमपुरघाटी – 38 एमजी
ये समस्याएं … पेट, पथरी, लिवर, स्किन
27 लोकेशन से लिए सैंपल
भोपाल की 27 लोकेशन से पानी के सैंपल लिए गए। इनमें अयोध्या नगर, बैरागढ़, बरखेड़ा पठानी, डीआईजी बंगला, इस्लाम नगर, गुनगा, लालघाटी, नबीबाग, नजीराबाद, पटेल नगर, शाहपुरा, साउथ टीटी नगर आदि शामिल है।
ये समस्या भी हाे रही हैं…
टायफाइड, डिसेंट्री के अलावा पथरी संबंधी समस्याएं भी तेजी से बढ़ी हैं। नाइट्रेट की अधिकता से लिवर, जॉन्डिस हेपेटाइटिस ए और ई होना बड़ा कारण है। टायफाइड, गेस्ट्राइटिस भी पानी की वजह से होता है।
फर्टिलाइजर, फार्म यार्ड वेस्ट कारण…
नाइट्रेट बढ़ने की प्रमुख वजह फार्म यार्ड वेस्ट और खेती में फर्टिलाइजर का अधिक उपयोग होना भी है। भोपाल के इस्लाम नगर और फंदा ब्लाक के सरवर में नाइट्रेट की मात्रा क्रमश: 70 और 50 एमजी तक मिली है।
पेट संबंधी रोग ज्यादा हो रहे
सीनियर गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. अभिजीत देशमुख ने बताया कि कई ऐसे क्षेत्र है, जहां पानी में नाइट्रेट, फ्लोराइड ज्यादा है तो इसका असर स्वास्थ्य पर पड़ता है। पेट संबंधी बीमारियों के डॉक्टर्स ओपीडी में राेज 100 केस पहुंच रहे हैं।
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