बैरसिया खुलासा रामबाबू मालवीय
- कविता एक नारी की…
सोचा है एक दिन चांद पर जाऊंगी..
सोचा है एक दिन चांद पर जाऊंगी
अपना एक आशियाना बनाऊंगी
सोचा है एक दिन चांद पर जाऊंगी ! मन में खुशी से खूब हर्षाऊंगी
दिल में प्यार की लहर जगाऊंगी
सोचा है एक दिन चांद पर जाऊंगी !
झूमते गाते सबको नचाऊंगी
हस -हस के सबको अपना बनाऊंगी
सोचा है एक दिन चांद पर जाऊंगी !
लहरों सी मन में उमंग जगाऊंगी
दिन रात अपने सपने सजाऊंगी
सोचा है एक दिन चांद पर जाऊंगी !
लेखिका
दीपिका ज्ञान सिंह मालवीय