नियम को ताक पर रखकर ईलाज कर रहा समीर अधिकारी
समीर के सभी दस्तावेज डिग्री डिप्लोमा इलेक्ट्रो होमियोपैथी के रजिस्ट्रेशन की जाच हो
181 का निराकरण करने से भाग रहे सीएचएमओ
नियम के विरुद्ध चल रही समीर अधिकारी की क्लीनिक में कार्रवाई से भाग रहे हैं सीएचएमओ
उमरिया :- संदीप तिवारी । मध्य प्रदेश शासन द्वारा मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 181 चालू किया है जिसमें लोग किसी भी विभाग में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं जिससे कि लोगों की समस्या दूर हो सके और संबंधित विभाग उसमें कार्यवाही कर रुके हुए कार्य को करवा सके जिसके लिए 181 हेल्प लाइन चालू किया गया है
लेकिन उमरिया जिले में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी सीएचएमओ डॉ आरके मेहरा के द्वारा शिकायत में कार्यवाही न करने से भागते हुए नजर आ रहे हैं शिकायत क्रमांक 23658362 दिनांक 10/08/2023 को दर्ज किया गया था लेकिन आज दिनांक तक शिकायत में कोई निराकरण नहीं किया गया शिकायत गोल-गोल घूमता हुआ नजर आ रहा है
1 साल 3 महीनो से नहीं कर पा रहे शिकायत पर निराकरण सीएचएमओ
ऐसे नहीं बोला जाता एमपी अजब अधिकारी गजब क्योंकि यहां की तस्वीर दिखती कुछ है और कहती कुछ और है हम बात कर रहे हैं उमरिया जिले की स्वास्थ्य विभाग की जिसकी जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आर के मेहरा जी को दी गई है
एक शिकायत का निराकरण करने के लिए सीएचएमओ साहब को और उनके विभाग को 1 साल 3 महीने लग गए लेकिन कार्यवाही करने से भागते हुए नजर आ रहे हैं सीएचएमओ साहब अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रहा है साहब एक ही ड्यूटी है साहब कि बिना निराकरण किए बिना किसी भी शिकायत को अपने लेवल से बंद करवा देते हैं और अपनी ड्यूटी साहब पुरी कर लेते है सभी शिकायतों की उच्चस्तरीय जांच होना चाहिए कि बिना निराकरण किए बिना आखिर अधिकारियों के द्वारा क्यों शिकायत को बंद कर दिया जाता है और शिकायतकर्ता संतुष्ट है की नही उसकी शिकायत पर कोई कारवाही हुई है की नही वो भी नही बताया जाता है जब शिकायतकर्ता 181 मे फोन करता है और अपनी शिकायत की जानकारी लेता है तो उसको पता चलता है की मध्य प्रदेश शासन द्वारा चलाए जा रही मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 181 फेल हो है और अधिकारी पास हो गए जिस अधिकारी की शिकायत करो वही अधिकारी उसकी सुनवाई करेगा तो कहा से शिकायत मे कोई निराकरण होगा इसी लिए कहा गया है एमपी अजब अधिकारी गजब
इस शिकायत को सीएचएमओ ने किया था बंद
ये शिकायत समीर कुमार अधिकारी नौरोजाबाद की है जो अपने आप को इलेक्ट्रो होम्योपैथी का डॉक्टर बताते है और ईलाज कर रहे है एलोपैथी (अग्रेजी दवाई) ये खुद CHMO उमरिया ने उनकी क्लीनिक से एलोपैथी की दवाई जप्त किया था और BMO साहब ने भी समीर के यहां से अग्रेजी दवाई जप्त की जिसमें उनके दौरा मीडिया को वाइट भी दिया था अब जा कुछ और लिख के जवाब दे रहे हैं
CHMO उमरिया शिकायत क. 20814050 अपडेट शिकायत के 23658362 दर्ज शिकायत विवरणी जन हेतु ङ्क जन सेतु शिकायत क्रमांक 20814050 दिनांक 29/01/2023 विभाग का नाम लोक स्वास्थ्य निराकरण कार्यालयीन पत्र क्रमांक 250/2023 दिनांक 25/01/2023 के अनुसार नोटिस दी गई जिस सम्बन्ध में नोटिस का जबाब आया है जिसमे अपनी पद्धति से इलाज किये जाने का अनुरोध किया गया है तत्सम्बंध में झोला छापा प्रक्टिस कर रहे लोगो के खिलाफ परिवार वाद की मान नीयन्यालय उमरिया में बिचारा धीन है शिकायत पर निराकरण एल 2 अधिकारी नाम-डॉ. आर के महरा, पद- सी.एम.एच.ओ. फोन- 9301359979 द्वारा दर्ज किया गया है
बिना कारवाही के CHMO ने किया शिकायत बंद
ऐसा ही मामला उमरिया में सामने आया है, जिसकी शिकायत, बिना शिकायतकर्ता की अनुमति के ही बंद कर दी गई और कागजों में ही समाधान कर दिया गया। जबकि जमीनी हकीकत वैसी की वैसी ही है हालत यह है कि सीएम हेल्पलाइन की लगातार मॉनिटरिंग के बाद अधिकारी ऑफिस में बैठे-बैठे ही शिकायतों का समाधान कर देते हैं। यह मामला कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला उमरिया के पत्र क्र 1960 उमरिया दिनांक 24-07- 2023 के द्वारा इन शिकायत को फोर्स क्लोज हेतु अभिमत के साथ प्रस्तावित किया गया है। इनके द्वारा दिये गये अभिमत व प्रस्ताव के आधार पर शिकायत को बंद किया जा रहा है। जिसकी समस्त जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला उमरिया की होगी।
यह निराकरण मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर आर. के. मेहरा ने दिया है मुख्यमंत्री हेल्पलाइन को दिया है आखिर क्यों कार्रवाही से पल्ला झाड़ रहे सीएचएमओ साहब पूरे जिले में और नौरोजाबाद तहसील अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग की सबसे बड़ी लापरवाही सामने आ रही है नियम को ताक पर रखकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा फर्जी क्लिनिक संचालित करवाई जा रही है और उनकी क्लिनिको में जाकर जांच पड़ताल नहीं किया जा रहा है कि वह किस विधि से चिकित्सा कर रहे हैं और उनके पास कौन सी डिग्री है जिसके आधार पर वह चिकित्सा कर रहे हैं और अपनी क्लिनिक संचालित कर रहे हैं
समीर पर सीएचएमओ हुए मेहरबान
इलेक्ट्रो होम्योपैथी झोलाछाप डॉक्टरी के सिवाय कुछ नहीं है। न्यायालय ने कहा है कि अनुच्छेद 21 के अंतर्गत लोगों को स्वास्थ्य का अधिकार है। गैर मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धति से इलाज कराने से लोगों को बचाने का राज्य सरकार का दायित्व है।
इलेक्ट्रो होम्योपैथी एक वनस्पतियों पर आधारित चिकित्सा विज्ञान है। भारत में यह एक गैर मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धति है , इलेक्ट्रो होम्योपैथी के किसी भी शैक्षणिक संस्थान और संचालित पाठ्यक्रमों को भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय / शिक्षा मंत्रालय ने मान्यता नहीं देता है
उमरिया में फेल हुई सरकारी मशीनरी झोलाछाप को ऑफ रिकार्ड कमान
इलेक्ट्रो होम्योपैथी का खुद को डॉक्टर बताने वाले समीर कुमार अधिकारी जोक विधि के विरुद्ध एवं नियम को ताक पर रखकर एलोपैथी (अंग्रेजी दवाई) कर रहे हैं वह एक क्लीनिक नहीं अपने निजी घर में एक प्राइवेट हॉस्पिटल खोल कर रखे हैं जिसमें सुबह से लेकर रात्रि तक अस्पताल संचालित रहती है 2 से 3 कर्मचारियों को रखकर वह लोगों का इलाज करते हैं उनके क्लीनिक में जाकर साहब देखे तो बड़े-बड़े प्राइवेट हॉस्पिटलों के बराबर समीर की अस्पताल संचालित हो रही है उसके हॉस्पिटल में पूरे बीमारियों का इलाज होता है और कर्मचारी भी जैसे MBBS, BAMS, BHMS, BUMS और BDS में सबसे कम अवधि वाला कोर्स बीडीएस है, जो 5 साल में पूरा होता है
एमबीबीएस डॉक्टर जैसे
लोगों का इलाज करते हैं सभी साहब को टीम मिले तो नौरोजाबाद मे समीर अधिकारी की क्लीनिक उसकी हॉस्पिटल मे जा कर जाच जरूर करना वह भी मीडिया के सामने ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए समीर के क्लीनिक में है जितने कर्मचारी हैं उनकी योग्यता और डिग्री कहां की है क्या उनको स्वास्थ्य विभाग से परमिशन दिया गया है कि वह प्राइवेट क्लीनिक में जाकर लोगों का इलाज कर सके कैसे वह लोगों को सुई लगाते हैं और बोतल चढ़ाते हैं एवं उनका इलाज भी करते हैं
समीर के कहने पर आखिरकार समीर अधिकारी को अंग्रेजी दवाई करने की अनुमति मौखिक रूप से मानो तो स्वास्थ्य विभाग ने दे दी हो तभी तो कई बार कार्रवाई होने के बावजूद अपनी क्लिनिक सभी नियमों को ताप पर रखकर संचालित कर रहा है जिले से रीवा और भोपाल तक पडी हुई हैं और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 181 में भी और लिखित मे भी जिला कलेक्टर ,पुलिस अधीक्षक, स्वास्थ विभाग तक में लेकिन मजाल किसी अधिकारी की समीर के हॉस्पिटल की तरह कोई उगाली उठ सके और सील करे तुरत नेता जी लोग का फोन जिम्मेदार अधिकारी पास पहुच जायेगा इसी लिए अधिकारी कार्रवाही करने के नाम से पल्ला झाड़ते हुए नजर आता है
और बिना शिकायतकर्ता के संतुष्टि के आधार पर शिकायत को बंद कर दिया जाता है एवं स्वास्थ विभाग के जिम्मेदार अधिकारी गोलमोल जवाब देते हुए नजर आते हैं कुल मिलाकर यह समझ में आता है कि स्वास्थ विभाग नियम के विरुद्ध क्लीनिक संचालित कर रहे है और जिले के झोलाछाप डॉक्टरों से कुछ ज्यादा ही धनिष्ठा हो गई हो साहब से जिससे वह कार्यवाही करने से बचते हुए नजर आ रहे हैं आखिर कब जिले में बैठी जिम्मेदार अधिकारी समीर कुमार अधिकारी के दस्तावेज की जांच कर एवं उसकी क्लिनिक के विरुद्ध कार्यवाही करेंगे ये तो समझ से परे है
बीएमओ व्ही. एस.चंदेल के की थी समीर की क्लीनिक सील कुछ दिनों में फिर खुल गई क्लीनिक
यह हम नहीं कहते कि समीर की क्लीनिक में कर्मचारी इलाज करते हैं यह कहना है ब्लॉक मेडिकल अधिकारी बीएमओ व्ही. एस.चंदेल साहब का पूर्व में दिनांक 2 जून 2023 को जिला कलेक्टर कृष्ण देव त्रिपाठी उमरिया को इस मामले की शिकायत दूरभाष के माध्यम से की गई थी
कि समीर कुमार अधिकारी जो कि अपने क्लीनिक में उपस्थित नहीं है उसके द्वारा उसके क्लीनिक में उपस्थित कर्मचारियों के द्वारा लोगों का इलाज किया जा रहा है एवं उनके जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है यह लगातार 2 से 3 दिन से चल रहा था जिसकी शिकायत कलेक्टर उमरिया को की गई थी मामले में संज्ञान लेते हुए जिले कलेक्टर उमरिया के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को समीर कुमार अधिकारी की क्लीनिक में जा के जाच करने का आदेश दिया गया तब जा के स्वास्थ्य विभाग के टीम बीएमओ व्ही. एस.चंदेल साहब और राजेंद्र तिवारी स्वास्थ्य विभाग ने आकर छापा मार कार्यवाही की जिसमें यह पाया गया कि समीर अधिकारी क्लीनिक में उपस्थित नहीं है उनकी बिना उपस्थिति के कर्मचारियों के द्वारा लोगों का इलाज किया जा रहा था जिसमें क्लीनिक को बंद किया गया
एवं ताला मार के चाबी बीएमओ व्ही. एस.चंदेल साहब ले गए जब इस विषय में मीडिया ने बीएमओ व्ही. एस.चंदेल साहब से चर्चा की गई तो उन्होंने वाइट में कहा कि शिकायत प्राप्त हुई थी कि कोई समीर कुमार अधिकारी है जो की क्लीनिक में उपस्थित नहीं है
उसकी क्लीनिक उपस्थित कर्मचारियों के द्वारा लोगों का इलाज किया जा रहा है जिसकी शिकायत मिलने पर हमने छापेमार कार्रवाई की जिसमें देखा गया कि समीर कुमार अधिकारी क्लिनिक उपस्थित नहीं थे उनके कर्मचारी के दौरा लोगों का इलाज किया जा रहा था जिसके हमने पंचनामा बनाया है अग्रिम कार्यवाही की जाएगी एवं समीर कुमार अधिकारी का स्वास्थ्य विभाग में कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है एवं उसके पास कोई भी क्लीनिक चलाने की अनुमति नहीं है समीर कुमार अधिकारी के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग CHMO ने न्यायालय में परिवारवाद लगाया गया है
जिससे कि उसकी क्लीनिक खुलनी भी नहीं चाहिए थी चाहे वहां डॉक्टर रहे या ना रहे क्लीनिक नहीं खुलनी थी अब अग्रिम कार्यवाही माननीय न्यायालय के द्वारा किया जाएगा लेकिन कुछ समय के बाद देखा जाता है कि वह क्लिनिक दोबारा खुल जाती है
अखिरकार किस अधिकारी के अनुमति से ये क्लीनिक संचालित होने लगी और क्लिनिक वही पुराने नियम के विरुद्ध संचालित हो रही है जिसकी इजाजत ना हाईकोर्ट देता है ना मध्य प्रदेश शासन ना संचालनालय स्वास्थ्य सेवाऐं मध्यप्रदेश ना स्वास्थ्य विभाग की आप रजिस्ट्रेशन किसी और विधि का हो डिग्री किसी की हो और ईलाज आप किसी और विधि से करे और अधिकारी उसको नज़र अंदाज करे और उसके गलत विधि कर रहे डॉ दौरा ईलाज का उच्च अधिकारियों दौरा सपोर्ट करे और करवाई ना करे जैसे कि गलत जानकारी CHMO साहब दे रहे सूचना के अधिकार का पुलिस अधीक्षक कार्यालय और अपने पूर्व में दिए बयान और कार्यवाही में खुद ही उलझे गए है साहब जी जिसकी शिकायत राज्य सूचना आयोग भोपाल तक हुई है
बंद कर देना चाहिए शहडोल जैसे मेडिकल कॉलेज
जब झोलाछाप चिकित्सक ही बंगाल के जादू में सिख कर आ के अमलोगों को छोटी से बड़ी बीमारी से अमलोगों इलाज कर सकते है तो देश और प्रदेश में स्थित शहडोल जैसे शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों को शायद बंद करने का समय आ गया है शासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए कि जब बंगाल के जादू से आम लोगों का इलाज किया जा सकता है तो अरब रुपये खर्च कर भवन बनाने और उस पर हर माह करोडो रूपये खर्च करने की आवश्यकता ही क्या है शहडोल मेडिकल कॉलेज सहित पूरे देश के चिकित्सा महाविद्यालयों में अध्ययन कर रहे छात्रों की भी इस मामले से सबक लेन चाहिए और एमबीबीएस तथा अन्य समकक्ष डिग्रियों में पैसा बर्बाद न कर समीर अधिकारी की तरह बंगाल का जादू और की सत्ता की चाटुकारिता का हुनर सीखना ही फायदे मंद है।
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