निजी स्कूल कर रहे मनमानी, शिक्षा का अधिकार अधिनियम का कर रहे उल्लंघन

निजी स्कूल कर रहे मनमानी, शिक्षा का अधिकार अधिनियम का कर रहे उल्लंघन
गतिविधि शुल्क, कोर्स और गणवेश के नाम पर पालकों को किया जा रहा परेशान, बार बार कटवाए जा रहे स्कूलों के चक्कर
गरीब बच्चों के साथ निजी स्कूलों में होता है भेदभाव
शिक्षा का अधिकार अधिनियम का बना रहे मज़ाक, गरीब बच्चों की शिक्षा का सम्पूर्ण खर्च उठाए सरकार – पंकज शर्मा
सीहोर । जिला कांग्रेस महासचिव पंकज शर्मा ने गुरुवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नया शिक्षण सत्र 17 अप्रैल से शुरू करने के आदेश जारी किए गए हैं लेकिन शिक्षा विभाग की व्यवस्थाएं अब तक सुधरने का नाम ही नहीं ले रही हैं । शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत पंजीयन कराने की अंतिम तिथि 15 अप्रैल है और इसमें अब केवल 2 दिन शेष बचे हैं लेकिन निजी स्कूलों की मनमानी से कई गरीब बच्चे आरटीई में प्रवेश से वंचित रह सकते हैं इसलिए इसमें प्रवेश के लिए पंजीयन की तिथि को 30 अप्रैल किया जाना चाहिए । श्री शर्मा ने कहा कि कुछ निजी विद्यालय पालकों को परेशान कर रहे हैं, वे गरीब बच्चों के माता पिता को परेशान करते हुए बार बार विद्यालय के चक्कर लगवा रहे हैं जिससे उन गरीब बच्चों के विद्यालय में प्रवेश लेने की तिथि निकल जाती है और उस गरीब बच्चे का प्रवेश निरस्त हो जाता है और निजी स्कूल संचालक गरीब बच्चों को प्रवेश ना देने की अपनी चाल में कामयाब हो जाते हैं और गरीब बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं । इसके अलावा कुछ निजी स्कूल गतिविधि शुल्क के नाम पर गरीब अभिभावकों को परेशान करते हैं, गरीब माता पिता इतना अधिक गतिविधि शुल्क आखिर कहां से लाए । श्री शर्मा ने आगे कहा कि इसके अलावा निजी स्कूल संचालक गरीब अभिभावकों को एक विशेष दुकान से कोर्स और गणवेश खरीदने के लिए दवाब बनाते हैं तथा उसमें भी अपना कमीशन बनाते हैं और गरीब बच्चों के माता पिता का शोषण करते हैं, इसके अलावा कुछ निजी विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा आरटीई के तहत प्रवेश प्राप्त बच्चों के साथ दुर्व्यवहार और ग़लत आचरण करने की घटनाएं होने के बारे में भी सुनने में आता रहता है, एक शिक्षक द्वारा अपने बच्चों में ऐसा भेदभाव करना घोर निंदनीय और दंडनीय है । श्री शर्मा ने अंत में कहा कि इन सब घटनाओं पर सीहोर का शिक्षा विभाग और जिला शिक्षा अधिकारी का मौन समझ से परे है, जिला शिक्षा अधिकारी को नींद से जागकर तत्काल ऐसे मामलों की जानकारी लेकर निजी स्कूल संचालकों की मनमानी पर तुरन्त रोक लगाते हुए गरीब बच्चों और उनके अभिभावकों को राहत देते हुए शिक्षा का अधिकार अधिनियम को अच्छे से लागू कराते हुए इसके लाभ गरीब बच्चों को दिलवाने चाहिए तथा सरकार के आदेश का उल्लंघन करने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और फिर भी अगर वो मनमानी बंद नहीं करते तो तत्काल उनकी मान्यता निरस्त कर देनी चाहिए ।

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