ज्ञान सिंह मार्को की हुई झोलाछाप समीर अधिकारी (बंगाली डॉक्टर) के इलाज के बाद मौत बड़ी कार्यवाही की आस
झोलाछाप डॉक्टर के इलाज के बाद गई गोंड समाज व्यक्ति की जान
समीर ने छीन लिया बच्चो के सर से पिता का सहारा
खुलासा भोपाल / मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में संचालित अवैध क्लीनिक और झोलाछाप डॉक्टरों पर अधिकारी मेहरबान हैं। शिकायत और निरीक्षण के बाद भी कार्रवाई नहीं होने से वे खुलेआम अपनी दुकानदारी चला रहे हैं। जबकि झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज के बाद लोगों की तबियत बिगड़ने और मौत तक हो रही है जिले के नौरोजाबाद थाना अंतर्गत पांच नंबर कॉलोनी में झोलाछाप डॉक्टर समीर अधिकारी (बंगाली डॉक्टर) के इलाज के बाद ज्ञान सिंह मार्को उम्र 36 वर्ष निवासी ग्राम पंचायत बंधवाटोला की मौत हो गई हैं परिजनो ने आरोप लगाते हुए जानकारी दिया है कि ज्ञान सिंह मार्को की तबीयत खराब होने के वजह से नौरोजाबाद के पांच नंबर स्थित समीर अधिकारी (बंगाली डॉक्टर) के यहां 11 जुलाई को इलाज करने के लिए ले जाया गया था तब बंगाली डॉक्टर ने उसको सुई लगाया था और दवाई दिया था लेकिन ज्ञान सिंह मार्को का बुखार नही उतरा था तो दूसरे दिन 12 जुलाई को फिर से 5 नंबर बंगाली डॉक्टर के यह ले गए थे तब बंगाली डॉक्टर ने उसको खून जांच करने को कहा तो बगल के पैथोलॉजी में जा कर ज्ञान सिंह मार्को का खून जांच कराया गया और अपनी जांच रिपोर्ट बंगाली डॉक्टर ले। जा के दिखाया!
टाइफाइड और पीलिया का कर रहा था झोलाछाप डॉक्टर उपचार
जांच रिपोर्ट देख समीर अधिकारी (बंगाली डॉक्टर) ने बताया कि आप को टाइफाइड और पीलिया है इसकी दवाई होगी सुई लगेगी और दवाई से सब ठीक हो जायेगा! जो की इलाज करने के पहले 11 तारीख को आगर खून जांच हो जाती और उसको बता दिया जाता की तुमको टाइफाइड और पीलिया है और कही दिखा लो लेकिन झोलाछाप डॉक्टर अपने जेब भरने में लगा था और उसका इलाज करते रहा 5 दिन तक मरीज को इंजेक्शन लगाने की बात कही गई थी तभी मृतक के परिजनों ने इलाज करवा कर घर की तरफ लौट गए फिर 13 जुलाई 14 जुलाई को इंजेक्शन एवं अन्य दवाइयां करवाई गई और वापस अपने घर निज निवास चले गए 15 जुलाई को अचानक तबीयत बिगड़ जाने पाली के हॉस्पिटल ले गए वहा भी जांच हुई और मरीज का इलाज लेकिन दूसरे दिन 16 जुलाई को ज्ञान सिंह मार्को ने अपनी जिंदगी को अलविदा कह दिया और उसकी मौत हो गई है आगर यही काम उसके परिजनों ने किया होता पहले कही अच्छे जगह ले गए होते तो आज ज्ञान सिंह मार्को हमारे बीच में होता और उसके परिवार को ये दुख की घड़ी न देखना पड़ता लेकिन ये झोलाछाप डॉक्टर खुद को एमबीबीएस डॉक्टर से काम नही समझें है जो की छोटी से बड़ी बिमारियों का इलाज़ करने लगाते है न तो इनको कानून का कोई खौफ है ना शासन ना प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसके ऊपर कोई बड़ी कार्यवाही होती की ये लोगो के जान के साथ न खेले ना इनके इलाज से कोई गरीब परिवार के सदस्य की मौत हो इसके खिलाफ ऐसे कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए
सीएम के आदेश के बाद भी चल रही धड़ल्ले फर्जी क्लीनिक
मध्य प्रदेश शासन और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के आदेश के बाद भी नहीं बंद हो रहा है अवैध क्लिनिक और झोलाछाप डॉक्टरों की दुकान ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज के चलते लोगों की मौत हो रही है और जिम्मेदार हाथ में हाथ रखे बैठे हुए है मृतक ज्ञान सिंह मार्को की दो बेटियां भी हैं अब इनका भरण पोषण कैसे होगा और कौन करेगा उसके सर से उसके पिता का सहारा बंगाली डॉक्टर ने छीन लिया है ऐसे कई परिवार के चिराग को ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों ने अंधेरे में तब्दील कर दिया अब देखना यह है कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों और फर्जी क्लीनिक चल रहे डॉक्टर के ऊपर शासन प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग क्या कार्रवाई करती है इसके पूर्व में भी 2 आदिवासी समाज की महिलाओं ने आरोप लगाया था की उनके कुछ माह के बच्चों का गलत इलाज से उनके बच्चों की मौत हो गई थी यही बंगाली डॉक्टर समीर अधिकारी नौरोजाबाद के गलत इलाज के चलते उन बच्चो की मौत हो गई थी जिसकी शिकायत अनीता कोल और शशि बैगा निवासी ग्राम पंचायत पिनौरा ने जिले के कलेक्टर जिले के पुलिस अधीक्षक को लिखित में की थी लेकिन उसकी फर्जी क्लीनिक और दुकान आज तक नही बंद हुई न कोई कार्यवाही हुई
बाद में उस मामले को दबाने के लिए यही झोलाछाप डॉक्टर ने पूरा खेल खेला था उन महिलाओं के घर तक लोगो को भेजा कई तरह से दबाव बनाया एवं लालच दिया बाद में उस मामले से भी बच निकला इसके पूर्व में भी कई मौत हुई और मामले को सेटलमेंट का दवा दिया गया आखिरंकार कब तक ये झोलाछाप डॉक्टर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे और उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होगी और उनके फर्जी क्लीनिक एवं दुकान ऐसे ही चलती रहेगी अब देखना यह है की शासन प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग इस मामले में क्या कार्रवाई करती है!
ये कैसा अपराध जो कर के बच जाता है आरोपी
एक अपराध वो है जो कोई भी नशे में तो कभी दुश्मनी में और कभी जानबूझकर और मजबूरी में करता है और दूसरे व्यक्ति की मौत हो जाती है इसको बोलते है हत्या उसमें विभिन्न धाराओं के अंतर्गत अपराध दर्ज होता है और आरोपी जेल पहुंच जाता है और भी कुछ अपराध है जो रात के अंधेरे में या अकेले में घटित होता है जब मामला शासन प्रशासन तक जाता है तो उस मामले में 0 से अपराध दर्ज होता है और कानूनी कार्रवाई होती है बोलते हैं ना कि कानून के बहुत लम्बे हाथ होते हैं उनके हाथ अपराधी तक पहुंच ही जाते हैं और अपराधी और अपराध का खुलासा हो जाता है और उस अपराधी को सलाखों के पीछे भेजने का काम किया जाता है
खुले में हो रहा अपराध
लेकिन ये कैसा कानून व्यवस्था है साहब जब एक झोलाछाप डॉक्टर किसी का इलाज कर के उसको सुई लगा के दवाई खिला के उस व्यक्ति को मौत के घाट उतार देता है और उस व्यक्ति की मौत हो जाती है और उस झोलाछाप डॉक्टर के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होती है और उस व्यक्ति के मौत की कीमत कुछ चंद पैसा से तौल देता है और वो झोलाछाप डॉक्टर मामले से बच के निकल जाता है क्यों की एक गरीब परिवार और काम पढ़े लिखे लोग ये जान ही नहीं पाते है की ये झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से और गलत दवाई के चलते इस व्यक्ति की मौत हो गई है और कई मौत भी हो जाती है और उसका खुलासा भी नही होता कभी अगर कोई मामला मीडिया को पता चला और उसको किसी के माध्यम से गांव के लोगो से जानकारी आई की इस झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से इस व्यक्ति मौत हो गई हैं तो वो झोलाछाप डॉक्टर अपने पैसे के बल में और कुछ राजनीतिक ताक़त और सपोर्ट से उसके घर तक पैसा दे के और दबाव बनाकर मामले को रफराफा कर देते हैं और मामला शासन प्रशासन तक नही पहुंच पाता है
झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से हो रही है मौते
मध्य प्रदेश की सरकार ने बड़ी बड़ी बिल्डिंग बना के करोड़ों रुपए खर्च की है उसमे तमाम बीमारियों के इलाज करने के लिए के डॉक्टर बैठाया गया है सरकारी अस्पताल खुली हुई है लेकिन किस काम की जब आम जनता तक उसकी सुविधा उपलब्ध नहीं पहुंच रही है और लोग झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने को मजबूर है झोलाछाप डॉक्टर के चंगुल में फंस के मौत भी हो रही है और जान भी जा जा रही है जैसे ज्ञान सिंह मार्को की जान तो गई है ये भी एक अपराध है !
जो जानबूझकर होशो हवास में किया जाता है बिना किसी बीमारी के जाने समझे एवं जांच के ये झोलाछाप डॉक्टर उसका इलाज करने लगता है और कुछ दिन इलाज कर जब यह उनके इलाज से मौत के काल में सामने लगते हैं! और कभी मामल बिगड़ जाता है और झोलाछाप डॉक्टर के बस में नहीं रहता तो वो कही और भेज देते है और बाद में उसी मौत हो जाती है भले वो मौत कुछ घंटों में क्यों ना हुई हो या फिर कुछ दिनों में लेकिन अपना पल्ला झोलाछाप डॉक्टर झाड़ लेते है की मेरे यह के इलाज से यह नही मारा है ये तो किसी और के इलाज से और हॉस्पिटल में मारा है लेकिन तुम्हारे पास कौन सी डिग्री है और योग्यता है इस आधार में तुम इतने दिनों तक उस मरीज का इलाज कर रहे थे और उसकी दवाई गोली कर सुई लगा रहे थे तुम भी तो एक झोलाछाप डॉक्टर हो न की कोई एमबीबीएस डाक्टर हो जो तुमको जानकारी होगी की क्या बीमारी है और उसके लिए क्या इलाज करना होगा दवाई देना होगा बिना जाने समझे और देखे आंख बंद कर के दवाई देना सुई और बोतल चढ़ा दे रहे है झोलाछाप डॉक्टर और उसके इलाज से लोग की मौत भी हो रही है
और छोटी बिमारी बड़ी बिमारी का रूप ले ले रही है उनके दवाई और इलाज के चलते और वही बिमारी के चलते उसकी मौत हो रही है और जिम्मेदार इस मामले से पल्ला झाड़ लेते है और झोलाछाप डॉक्टर यह वहा से फोन कराकर बच जा रहे हैं और उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होती है अब देखने की प्रदेश और जिले में बैठे तमाम अधिकारी इस मामले में क्या संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करते हैं की नही!
इनका कहना है
अभी यह मामला आप लोगों के द्वारा संज्ञान में आया है जल्दी हम इसका परीक्षण कर उचित कार्यवाही करेंगे
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एस सी चौधरी
कलेक्टर उमरिया ने झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए टीम भी बनाई है जल्दी कार्यवाही होगी!
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