चुनावी साल का संदेश:अप्रैल में खुल सकता है तबादलों से प्रतिबंध, सीएम ने मंत्रियों से कहा- लेनदेन से दूर रहें!

चुनावी साल में तबादलों पर से फिर प्रतिबंध हटाने की तैयारी है। इसके लिए अप्रैल में तबादला नीति 2023 लाई जा सकती है। कैबिनेट सदस्यों के साथ अनौपचारिक चर्चा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके संकेत दिए। पहली बार मंत्रियों से यह भी कहा गया कि वे तबादलों में लेन-देन न करें। विधानसभा चुनाव में 4-6 माह बचे हैं। ऐसे में किसी की भी शिकायत नहीं मिलनी चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो कार्रवाई होगी।

प्रभार के जिलों को बदलने पर भी सीएम ने रुख स्पष्ट किया कि जिस मंत्री के पास जिस जिले का प्रभार है, वह बरकरार रहेगा। यहां बता दें कि मार्च 2023 के पहले सप्ताह में भाजपा दफ्तर में मंत्रियों की बैठक हुई थी। इसमें सीएम ने कहा था कि रंगपंचमी के आसपास प्रभार के जिले बदले जाएंगे। उनसे पसंद के जिलों के नाम भी मांगे गए थे। कुछ ने नाम भी लिखवाए थे।

महत्वपूर्ण दाे बातें

  1. विधायकों की आपत्ति के बाद टला भोपाल में 4 नई तहसीलें बनाने का फैसला
  2. अमरकंटक थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के लिए 4666 करोड़ रुपए की मंजूरी

    मंत्री बोले- लाड़ली बहना में उम्र सीमा न हो, अविवाहित को भी मिले
    कैबिनेट के सामने मंगलवार को लाड़ली बहना और मुख्यमंत्री युवा कौशल कमाई योजना का प्रेजेंटेशन हुआ। लाड़ली बहना को लेकर मंत्री ऊषा ठाकुर, बृजेंद्र प्रताप सिंह समेत कई मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से कहा कि उम्र का क्राइटेरिया बदलना चाहिए। अभी 23 साल से लेकर 60 साल के बीच विवाहित महिला को एक हजार प्रतिमाह दिए जाने का नियम है। ऊषा ठाकुर ने कहा कि इसमें अनमैरिड (अविवाहित) को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्हें क्यों छोड़ा जाए? बृजेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, यदि कोई महिला 60 साल में पात्र है और वह अगले ही माह या साल में 61 वर्ष की हो जाती है तो उसका क्या होगा? कुछ और मंत्रियों ने भी उम्र की बाध्यता को लेकर अपनी बात रखी। मंत्री गोपाल भार्गव पहले ही कह चुके हैं कि न्यूनतम आयु 23 साल की बजाए 18 साल होनी चाहिए। तर्क है कि हमारा मकसद अधिक से अधिक बहनों को लाभ देना है। उम्र सीमा के कारण बहुत सी बहनें योजना से बाहर हो जा रही हैं।

    5 महीने बाद फिर तबादला नीति

    वर्ष 2022 में 17 सितंबर को तबादला नीति जारी हुई थी। तब 5 अक्टूबर तक के लिए तबादलों पर से प्रतिबंध हटा था। तब बड़ी संख्या में तबादले हुए थे, लेकिन कई मंत्री समय पर लिस्ट फाइनल नहीं कर पाए थे। यही वजह थी कि नियत तिथि के बाद भी तबादलों की सूची गाहे-बगाहे जारी होती रही। इसके लिए मुख्यमंत्री समन्वय से मंजूरी ली गई। इसके बाद शिक्षा विभाग ने भी अपनी ट्रांसफर की गाइडलाइन जारी की। मुख्यमंत्री के संकेतों से साफ है कि सामान्य प्रशासन विभाग को जल्द ही नीति बनाकर कैबिनेट से मंजूर करना होगा, क्योंकि वक्त कम है।

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