क्या पुलिस विभाग मे भी जातिवाद हावी!
बैतूल शहर मे जहा लोग न्याय के लिए जाते है चाहे व किसी भी धर्म या समाज का हो लेकिन अगर न्याय के दरवाज़े पर ही जातिवाद हावी हो जाए तो जनता फिर कहा जाएगी दरअसल चुनावी वर्ष में एक स्थान पर तीन साल से जमे उपनिरीक्षक से अधिक स्तर के सभी अधिकारियों को बदल दिया गया। सबसे पहले जिले में आरक्षक और प्रधान आरक्षकों की थोकबंद तबादला सूची जारी हुई, फिर एएसआई और एसआई के बड़े पैमाने पर तबादले किए गए। कुछ सूची पुलिस मुख्यालय से भी जारी हुई। इसमें जिले से कई अधिकारियों के तबादले हुए। बात निरीक्षक स्तर के अधिकारियों की करें तो तीन साल से अधिक समय से यहां पदस्थ अधिकांश टीआई का तबादला हो चुका है।वही गंज ओर कोतवाली थाने के प्रभारी भी बदले गए पर सवाल यह हालात कि ऐसा क्या हुआ कि कोतवाली थाने का प्रभार देवकरण डेहरिया को देने के बाद अचानक रातो रात प्रभार मुक्त कर गंज थाने का प्रभार दे दिया वही गंज का प्रभार ले चुके आषीश सिंह पंवार को कोतवाली थाने का प्रभार सोफ दिया सूत्रों की माने अगर पुलिस विभाग मे जातिवाद आ जाय तो फिर समाज का क्या होगा वरिष्ठ लोगो ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया की अगर ऐसे विभाग मे भी जातीवाद चलने लगेगा तो भारत की जनता कहा जायगी फिर तो हर विभाग मे जातिवाद हावी रहेगा!आखिर क्या वजह है कि आनन-फानन में कोतवाली थाने से देवकरण डेहरिया को गंज थाना कर दिया वही गंज थाने से आशीष सिंह पवार को कोतवाली थाने कर दिया गया आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही होगी ! जातिवाद तो साहब राजनीति में चलता है पुलिस विभाग में कब से चलने लग गया!पुछता है बैतूल ओर बैतूल की जनता क्या लोकतंत्र पर जातिवाद हावी रहेगा!
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