उत्तराखंड में लहराया बैतूल का परचम, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और निर्देशक का जीता खिताब, पतलून को दूसरा स्थान

उत्तराखंड में लहराया बैतूल का परचम, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और निर्देशक का जीता खिताब, पतलून को दूसरा स्थान
बैतूल। देवभूमि उत्तराखंड के जिला पौड़ी की तहसील कोटद्वार में हाल ही में तन्वी संस्था द्वारा राष्ट्रीय स्तर की नाट्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें 8 राज्यों की 12 टीमों ने सहभागिता दर्ज की। जिसमें मध्यप्रदेश का नेतृत्व जिले के कोशिश ग्रुप की नाटक टीम ने लेखक मनीष जोशी द्वारा रचित व निर्देशक शिरीष सोनी द्वारा निर्देशित नाटक पतलून की प्रस्तुति के साथ किया। इसमें कोशिश ग्रुप के कलाकारों ने जिले का परचम लहराते हुए उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।
इस अखिल भारतीय नाट्य स्पर्धा में जिले के रंगकर्मियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। दर्शकों ने नाटक के प्रदर्शन पर कहा कि मानवीय संवेदना, हास्य और करुणा के साथ जिस तरह निर्देशक शिरीष सोनी ने इसे प्रस्तुत किया वह काबिले तारीफ है। दर्शकों की प्रतिक्रिया के बाद 20 जून को जब राष्ट्रीय प्रतियोगिता के परिणाम आए तो सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष वर्ग) और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जिले के ख्याति नाम रंगकर्मी शिरीष सोनी को मिला। वहीं चरित्र अभिनेत्री के रूप में सुष्मिता बंजारे को द्वितीय स्थान मिला। इसके साथ ही श्री सोनी द्वारा निर्देशित नाटक पतलून को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। कुल जमा इस राष्ट्रीय स्पर्धा में बैतूल जिले का परचम पूरी शिद्दत के साथ लहराया। 16 जून से 21 जून तक चली इस राष्ट्रीय स्पर्धा में पूरी स्पर्धा के दौरान दर्शकों और प्रतिभागियों में नाटक पतलून और उसके किरदार भगवान के चर्चे आम और खास के बीच बने रहे। भगवान के नाम से गूंज उठा सभागार परिणाम के दौरान जब सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए दर्शकों से उनकी राय जाननी चाही तो पूरे सभागार में पतलून के किरदार भगवान को निभाने वाले शिरीष सोनी का नाम एक स्वर में सामने आया। वहीं सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार भी श्री सोनी को प्राप्त हुआ। रंगकर्म के क्षेत्र में इस उपलब्धि को लेकर जब श्री सोनी से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता के परिणाम आशा के अनुरूप ही रहे हैं। भगवान के किरदार को निभाने के लिए काफी तैयारियां करनी पड़ी। अपनी उम्र से बड़े किरदार को करने के लिए उसकी शारीरिक भाषा और बोलने की क्षमता पर काफी काम किया। जिसका परिणाम पुरस्कार के रुप में मिला है। नाटक शुरुआत से ही सरल नहीं होता। नाटक समय मांगता है मेहनत मांगता है, त्याग मांगता है और तब जाकर मंच पर किरदार जीवित होते हैं। जब हम खुद के चरित्र को मारते हैं तभी किरदार को मंच पर जीवित कर पाते हैं।
कमियों का किया जाएगा सुधार भगवान के किरदार को बेहतरीन तरीके से निभाने पर श्री सोनी कहते हैं कि अच्छी मेहनत से अच्छे परिणाम मिलते हैं। ऐसा ही हुआ है। वहीं नाटक के द्वितीय स्थान पर रहने की स्थिति पर श्री सोनी ने कहा कि प्रतियोगिता में सब का दिन होता है। द्वितीय स्थान पर क्यों रहे, इसको लेकर चिंतन करेंगे जो कमी होगी उसे दुरुस्त किया जाएगा।
इनकी रही नाटक में मुख्य भूमिका
नाक के दौरान मंच पर शिरीष सोनी, अमित कसेरा, सूर्यदीप त्रिवेदी, राकेश गावंडे, सत्येंद्र चौहान, साहिल खान, जय खातरकर, रोहित कहार, सुष्मिता वंजारे, मोहन मदान, हर्ष खातरकर, जीत मासोदकर, मयूरी पोटफोडे, राजकुमार साहू की मुख्य भूमिका रही। संगीत संयोजन ब्रजकिशोर वानखेड़े ने किया। प्रकाश संयोजन की जिम्मेदारी सोनू कुशवाह ने संभाली। मेकअप मेधावी त्रिवेदी ने किया। राष्ट्रीय नाट्य प्रतियोगिता में जिले के कोशिश ग्रुप के कलाकारों की उपलब्धि पर सभी रंगकर्मियों में जहां हर्ष का माहौल है।

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