आशा, आशा सहयोगिनी की हड़ताल के 18वे दिन कार्यकर्ताओं ने जमकर की नारे बाजी
प्रदेश व्यापी हड़ताल के कारण कार्य हो रहा है प्रभावित
रामनवमी के पावन पर्व पर महिलाओं का सडक़ पर बैठना दुर्भाग्यपूर्ण
सीहोर। अपनी 14 सूत्रीय मांगों के लिये अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठी आशा,आशा सहयोगिनी संयुक्त मोर्चा को गुरुवार को हड़ताल के 18 दिन हो गये हैं। हड़तालरत् आशा एवं आशा पर्यवेक्षक कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर नारे लगाते हुए सरकार को जमकर कोशा है। आशा, ऊषा, आशा पर्यवेक्षक अध्यक्ष चिंता चौहान ने बताया कि आशा, ऊषा, आशा सहयोगिनी गाँव में विभिन्न विभागों के अन्तर्गत पुरी तत्परता के साथ काम करती हैं। पहले हमारी नियुक्ति केवल बड़ती मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिये हुई थी। परन्तु बाद में हमसे विभिन्न विभागों के अन्तर्गत अन्य कार्य भी कराये जाने लगे। हमने कोरोना काल में भी अपनी जान जोखिम में डाल कर अपनी उत्कृष्ट सेवाऐं शासन को प्रदान की थी तथा सरकार द्वारा विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं के सर्वे में भी हमने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा महिला के गर्भवती होने से लेकर बच्चे के टीकाकरण होने तक हमें लगातार मोनिटेरिंग करना होती है तथा किसी भी परिस्थिति मौसम एवं समय पर हमें गर्भवती महिला के साथ चिकित्सालय जाना होता है। हमें 24 घण्टे में कभी भी बुलावा आने पर तत्काल सभी काम छोडकऱ अपने कार्य स्थल पर जाना पड़ता है। इसके बावजूद भी हमारा वेतन एक मजदूर की आय से भी कम है, यह बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण है। एक ओर तो सरकार महिलाओं के लिये लाड़ली बहना योजना ला रही है, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री को अपनी इन उत्कृष्ट कार्य करने वाली बहनों की बिल्कुल भी चिंता नही है, रामनवमी के पावन अवसर पर महिलाओं का सडक़ किनारे भूखे प्यासे रहना दुर्भाग्यपूर्ण है जह एक ओर सभी अपने घरो में माता की पुजन व राम नवमी का पर्व बना रहे है वही हम आशा, आशा पर्यवेक्षक रोड किनारे बैठे अपनी मांगा को लेकर सरकार से गोहार लगा रही है जिस हेतु हम बहने आज राम नवमी के पावन अवसर पर भी घर में कुल देवी देवताओं कि पूजा पाठ से वंचित होकर अपने हक के लिए अनिश्चित काल तक हड़ताल पर बैठे रहेंगे। इन बहनों को सरकार द्वारा अनदेखा ही किया जा रहा है जिस कारण सभी बेहने आक्रोषित है और मांगे पुरी ना होने तक यह अनिश्चित कालिन हड़ताल पर ही बैठी रहेंगी।
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