स्वास्थ्य विभाग लोगों को करे जागरूक
झोलाछाप डॉक्टर के पास जाने से बचे लोग
फर्जी क्लीनिक को लेकर संबंधित थाने को नहीं दी जा रही कोई सूचना
आखिर कब होगा समीर अधिकारी के ऊपर कार्यवाही
उमरिया:- ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये: अमृतकलश हस्ताय सर्वभय| विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप श्री धन्वंतरी स्वरूप श्री औषधचक्र नारायणाय नम: सनातन परंपरा मे इसी मंत्र के साथ पूजे जाते हैं चिकित्सा के देवता और देवता के चिकित्सक एक धन मंत्री विष्णु के अवतार है और एक आज के झोलाछाप डॉक्टर मानव यमराज के उपासक तुलना अशीरोक की जा सकती हैं पूरे सिस्टम ने इस शब्द को इतना जटल कर दिया है कि आपकी जिंदगी झोलाछाप के हाथ का खिलौना बन गई है
सरकारी हॉस्पिटल में फ्री में करवाएं इलाज
समीर अधिकारी जैसे झोलाछाप डॉक्टर के पास जाने से बचे सरकार के द्वारा करवाए जा रहे निशुल्क इलाज की सुविधा ले झोलाछाप डॉक्टरों की जाल में फंसने के बाद कोई यू टर्न नहीं हो सकता इसीलिए अभी आपका लोगो का चेत जाना जरूरी है मजबूरी में भोले भाले ग्रामीण एवं आदिवासी लोग इलाज करवाने जाते हैं इन भोले भाले आदिवासी लोग झोलाछाप डॉक्टर को हि एमबीबीएस डॉक्टर और सरकारी डॉक्टर मान लेते है इनको क्या पता कि यह लोग झोलाछाप से इलाज करवा कर मौत के काल में समाते जा रहे हैं
मजबूरी का उठा रहे हैं झोलाछाप फायदा
भोली-भाली जनता के मजबूरी का फायदा उठाते हैं झोलाछाप डॉक्टर इनके द्वारा गुप्त रोग से लेकर गंभीर बीमारी तक का इलाज किया जाता है शुक्र मनाइए इनके द्वारा सर्जरी नहीं किया जाता नहीं तो यह झोलाछाप वह भी करना चालू कर दे धंधा धोखा चोखा इसलिए कि एक छत में सीट और 2 हरे रंग का पर्दा और चार दिवार से हो जाता है तैयार क्लीनिक स्वास्थ विभाग की माने तो उमरिया जिले के अंतर्गत चला रहे कई झोलाछाप डॉक्टरों के पास कोई भी योग्यता और किसी भी चीज की डिग्री नहीं है ना स्वास्थ्य विभाग के पास उनके कोई दस्तावेज उपलब्ध है ना कार्यालय में उनके क्लीनिक का कोई भी पंजीयन नहीं है
सुप्रीम कोर्ट और शासन के आदेश का नहीं हो रहा पालन
जिले के नौरोजाबाद मे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का नहीं हो रहा पालन वही शासन के आदेश का भी उनके अधीन अधिकारी के द्वारा नहीं कराया जा रहा है पालन खुलेआम धड़ल्ले से चल रही है फर्जी क्लीनिक कारवाही के नाम से मचा लूट का धंधा दिखावे के नाम से होती है कार्यवाही उसके बाद आंख में बांध ली जाती है
काली पट्टी नीम हकीम झोलाछाप डॉक्टरों से सांठगांठ के चलते नहीं होती उचित कार्यवाही जिम्मेदारों ने बांध लिया आंख में पट्टी आखिर कब होगी ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई यह तो समझ से परे है सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर शासन की गाइडलाइन है जो क्वालीफाई डॉक्टर ने की है उसी नियम से क्लीनिक संचालित कर सकते हैं डॉक्टर ने जिस पैथी के क्वालिफाइड किया है उसी पैथी में इलाज कर सकते हैं और जिनके पास किसी भी तरह की कोई क्वालिफिकेशन नहीं है तो वह किसी भी तरह से किसी भी व्यक्ति इलाज मरीज का नहीं कर सकते हैं वह तो उसकी जान के साथ खिलवाड़ ही होगा अगर ऐसा किया जाता है तो पहले उसकी क्लीनिक सील कर देना चाहिए जो कि उमरिया के अधिकारी खोल देते हैं और उसके विरुद्ध मुकदमा कायम किया जाना चाहिए जोकि कई महीनों से हो रहा है और फिर वह सिविल कोर्ट में केस जाता है और फिर जो भी कोर्ट निर्णय देता है लेकिन यहां तो भय का भूत दिखाया जा रहा है और कुछ नहीं किया जा रहा जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा फर्जी क्लीनिक संचालकों के ऊपर न्यायालय के द्वारा फाइन के साथ सजा का प्रावधान भी है 2 साल तक की सजा का प्रावधान है
दवाई ,डॉक्टर, और बिल्डिंग में करोड़ों खर्च तो क्यों नहीं करते लोगों को जागरुक
मध्य प्रदेश शासन के द्वारा हॉस्पिटल बनवाने में करोड़ों रुपए खर्च किया जाता है साथ में डॉक्टर की सैलरी एवं दवाइयों का खर्च शासन द्वारा सरकारी हॉस्पिटलों में किया जा रहा है लेकिन उसका उपयोग आम जनता के बीच नहीं पहुंच पा रही है दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों तक उसकी सुविधा लोग नहीं ले पा रहे हैं जिसके चलते लोग झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने के लिए मजबूर है लोगों के बीच जागरूकता की कमी स्वास्थ विभाग को लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों के पास ना जाने की समझाइश देना चाहिए और साथ में जनता को जागरूक करने की भी आवश्यकता है मध्य प्रदेश शासन के द्वारा करोड़ रुपए सरकारी हॉस्पिटल अगर खर्च किया जा रहा है तो उस हॉस्पिटल में डॉक्टर को अगर बैठा कर लाखों की पेमेंट गवर्नमेंट कर रही है तो उसका उपयोग लोग करें उस हॉस्पिटल में जाकर वहां इलाज करवाएं निशुल्क सेवा शासन के द्वारा दिया जा रहा है इसका लोग उपयोग करें यह जागरूकता लोगों के बीच लाने की आवश्यकता है जो कि जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी को करना चाहिए
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